द फॉलोअप डेस्क
राज्य सरकार झारखंड सचिवालय अनुदेश में संशोधन करने जा रही है। कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इस पर विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री की सहमति भी मिल गयी है। सचिवालय अनुदेश में संशोधन के बाद सचिवालय सेवा के पद लगभग आधे हो जाएंगे। इसको लेकर सचिवालय सेवा के अधिकारियों-कर्मियों में भारी आक्रोश है। प्रस्ताव में सचिवालय सेवा की पद संरचना में भारी बदलाव की अनुशंसा की गयी है। वर्तमान में केंद्र सरकार के अनुरूप एएसओ के दो पद पर एक एसओ तथा दो एसओ पर एक अवर सचिव का पद स्वीकृत है। वर्तमान पद संरचना में बदलाव के बाद अब चार एएसओ पर एक एसओ होगा। इससे एसओ, अवर सचिव, उप सचिव से लेकर संयुक्त सचिव तक के पद कम हो जाएंगे। कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा तैयार इस प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री की सहमति प्राप्त कर ली गयी है। अब विधि एवं वित्त विभाग की सहमति के बाद कैबिनेट की स्वीकृति के साथ लागू कर दी जाएगी। सचिवालय सेवा के कर्मियों और अधिकारियों को अनुदेश में हो रहे इस संशोधन की जानकारी मिलने के बाद भारी आक्रोश है। झारखंड सचिवालय सेवा संघ इस मुद्दे को लेकर आंदोलन की रूपरेखा भी तैयार करने लगा है।
वर्तमान में सचिवालय सेवा के स्वीकृत पद
झारखंड सचिवालय सेवा नियमावली-2010 के अनुसार झारखंड में वर्तमान में एएसओ के 1310, एसओ के 657, अवर सचिव के 328, उप सचिव के 54 एवं संयुक्त सचिव के 23 पद स्वीकृत हैं। सचिवालय अनुदेश में संशोधन के बाद सचिवालय सेवा के लिए स्वीकृत पदों में लगभग आधे की कमी हो जाएगी।
ई-ऑफिस लागू करने भी अनुशंसा
सचिवालय अनुदेश में संशोधन के प्रस्ताव में कई अन्य बदलावों की भी अनुशंसा की गयी है। उसमें ई-ऑफिस की व्यवस्था भी शामिल की गयी है। ई-ऑफिस की व्यवस्था लागू होने के बाद ई-मेल, व्हाट एप आदि से मिलने वाली जानकारी और पत्रों के आधार पर भी फाइलें खुलेंगी। भी सचिवालयों में अधिकृत रूप से काम काज हो सकेगा। ई-ऑफिस में फाइलों की ऑनलाइन निबटारे की व्यवस्था हो सकेगी। कंप्यूटर पर ही संबंधित अधिकारी फाइलों को देख व उस पर अपनी टिप्पणी व सुझाव दे सकेंगे। वर्तमान में बिहार के समय बने सचिवालय अनुदेश में यह शामिल नहीं है। इसी तरह वर्तमान अनुदेश में विभागों में रजिस्ट्रार के काम रेखांकित हैं। लेकिन व्यवहार में सचिवालयों में रजिस्ट्रार के पद समाप्त किए जा चुके हैं। इसी तरह बिहार के समय बने सचिवालय अनुदेश के उन विषयों को डिलीट और संशोधित कर दिया गया है, जो अब अव्यवहारिक हो चुका है।