फॉलोअप डेस्क
पूर्व वित्त मंत्री व कांग्रेस विधायक डॉ रामेश्वर उरांव का सीधा स्वीकारना है कि बजट में राजनीति होती है। हर सरकार बजट में अपनी राजनीति साधती ही है। अर्थ नीति राजनीति को प्रभावित करती है। हम भी बजट के माध्यम से राजनीति कर रहे हैं, कोई अप्रत्याशित नहीं है। हम जहां भी जाते हैं लोग कहते ही हैं कि मंईयां सम्मान योजना को लेकर आप राजनीति कर रहे हैं। हम उन्हें कहते भी हैं, राजनीति में हैं तो राजनीति ही तो करेंगे। उन्होंने उदाहरण दिया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले केंद्र सरकार ने 12 लाख तक सालाना आय वाले लोगों को इनकम टैक्स के दायरे से अलग कर दिया। क्योंकि दिल्ली में अधिकतर लोग मध्यम आय वर्ग के हैं। डॉ उरांव मंगलवार को विधानसभा में बजट पर चल रही चर्चा में भाग ले रहे थे।
डॉ उरांव ने कहा कि मंईयां योजना से हमने गरीबों की पेट भी भरी और पॉकेट भी। जिस किसी परिवार में दो बेटी और एक बहु है, औसतन उनके घर में 7-8 हजार रुपए आ रहे हैं। जबकि इस तरह के गरीब परिवार 100-200 रुपए भी नहीं देखते थे। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार ने पहली बार राज्य के गरीबों के लिए रोटी, कपड़ा और मकान पर ध्यान दिया। पूर्णता के साथ हेमंत सोरेन की पिछली सरकार ने गरीबों के इस गंभीर विषय पर ध्यान दिया।
झारखंड आंदोलन पर किताब लिख रहे हैं डॉ रामेश्वर उरांव
पूर्व वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव झारखंड आंदोलन पर किताब लिख रहे हैं। इसकी जानकारी उन्होंने मंगलवार को विधानसभा में चर्चा के दौरान दी। उन्होंने कहा कि अलग राज्य बनने के बाद भी झारखंड का बेसिक मुद्दा आज जहां का तहां है। उन्होंने बताया कि झारखंड आंदोलन को उन्होंने नजदीक से देखा और समझा है। जयपाल सिंह से भी वह मिले थे जब वह मैट्रिक में पढ़ते थे। एनई होरो व अन्य से वे लगातार मिलते थे। उन्होंने बताया कि झारखंड आंदोलन में सबका योगदान रहा है। आदिवासी महासभा, उन्नति समाज, झारखंड पार्टी, झामुमो, आजसू और भाजपा का भी।