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टिकट नहीं मिलने से ठगा हुआ महसूस कर रहे रामटहल चौधरी, बोले- झंडा ढोने के लिए कांग्रेस में नहीं हुआ शामिल

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द फॉलोअप डेस्कः
रांची से पांच बार सांसद रहे रामटहल चौधरी ने कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस ज्वाइन किया है। उन्होंने इस आस में कांग्रेस ज्वाइन किया था कि उनको पार्टी टिकट देगी। द फॉलोअप से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि वह खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। क्योंकि जब वह बीजेपी में थे तो पार्टी ने टिकट नहीं दिया जिसके बाद उन्होंने रिजाइन करके निर्दलीय चुनाव लड़ा 2019 में। इसके बाद वह 5 साल किसी पार्टी में नहीं गया। फिर उनके सर्मथकों का दबाव था कि वह किसी जगह से चुनाव लड़े क्योंकि वो लोग खुद को बेसहारा महसूस कर रहे थे। अभिभावक विहिन महसूस कर रहे थे। इसके बाद रामटहल चौधरी ने कहा कि कहा कि कहीं उचित जगह मिलेगा तभी चुनाव लड़ा जाएगा। इसी बीच 6 महीने पहले कांग्रेस से बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि आप कहीं नहीं जाइए हमारे पास आ जाइए। तो मैंने कहा कि नहीं मैं कांग्रेस में कैसे आऊंगा आपके यहां तो सुबोधकांत सहाय है ही वह तो टिकट नहीं छोड़ेंगे। इसके बाद कांग्रेस ने मुझसे संपर्क किया तो मैंने कहा कि मैं तभी ज्वाइन करूंगा जब मुझे फाइनल सिगनल मिलेगा। उनलोगों ने कहा कि आपको प्रभारी ने दिल्ली बुलाया है। मैं गया तो उन्होंने कहा कि आपका फीडबैक ठीक है। राहुल गांधी की सोच है कि जिसकी आबादी उसकी उतनी भागीदारी। मैं सब तरफ से फिट हूं। जाति के आधार पर, अनुभव के आधार पर, आबादी के आधार पर। तो मुझे लगा कि मुझे टिकट मिलेगा ही। 


मेरे अनुभव को देखकर लग रहा था यह जगजाहिर था कि मुझे टिकट मिलेगा। मुझे विश्वास था कि मुझे ज्वाइन करवाया गया है तो टिकट मिलेगा ही। मैं शुरू से कहा रहा था कि इस उम्र में पार्टी का झंडा ढोने तो नहीं जाऊंगा। टिकट नहीं मिलने से मुझसे ज्यादा मेरे समर्थक नाराज है। मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता था लेकिन समर्थकों के कहने पर मैंने कांग्रेस ज्वाइन किया। 


मतदाताओं के पास जाकर आशीर्वाद लें यशस्विनी 
सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी मुझसे आशीर्वाद लेने पहुंची तो मैंने कहा कि आप मतदाताओं से मिलिए क्योंकि वही भगवान है। वही आपको आशीर्वाद देंगे। जब उनसे पूछा गया कि अब वह किस ओर जाएंगे बीजेपी वाले तो कह रहे हैं कि उनके साइड चले जाइए तो उन्होंने कहा कि बीजेपी वालों ने मुझसे पांच साल तक कोई संपर्क नहीं किया है। मुझे घर वापसी करनी है या नहीं यह मैंने अपने समर्थकों पर छोड़ दिया है। मैं खुद से अपना फैसला नहीं लेता हूं। 2019 में बीजपी मेरे वोट से ही जीती है। मैं जब निर्दलीय खड़ा हुआ तो भी अच्छे भी अच्छा वोट आया था। मैं जब निर्दलीय भी था तो मेरा चुनाव चिन्ह फूल था। इसलिए बूढ़े बुजुर्गो को यही लगता था कि फूल छाप का मतलब ही रामटहल चौधऱी है। इसलिए मुझे ना वोट देकर बीजेपी को सारा वोट चला गया। मैं चुनाव के टाइम पर ठीक से प्रचार नहीं कर पाया था। अटल जी ने कहा भा था कि चौधरी जी आपका निर्दलीय चिन्ह राष्ट्रीय चिन्ह हो गया है। 

जिधर समीकरण बनता दिखेगा उधर सपोर्ट करूंगा
उन्होंने कहा कि इस बार की चुनाव में बीजेपी की स्थिती ठीक नहीं है। ना ही कांग्रेस की। इसलिए मैंने यशस्विनी से कहा है कि मतदाताओं के पास जाइए। कांग्रस ने जिस तरह से टिकट बांटा है उसे लेकर की जगह पर विरोध हो रहा है। रांची में भी कैंडिडेट को लेकर विरोध हो रहा है। सुबोधकांत सहाय को बेटी के साथ घूमना होगा परिचय कराना होगा। उसके बाद क्या समीकरण बनता है देखना होगा। यहां जो कैंडिडेट जीतने लायक होगा उसको सपोर्ट किया जाएगा। मैंने पार्टी से अपने बेटे को भी टिकट देने की बात कही थी लेकिन उसको भी टिकट नहीं दिया गया। इसलिए वह भी मेरे तरह न्युट्रल है। 

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