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रांची : 1932 के जरिए जनता को भटका रही हेमंत सरकार, OBC आरक्षण भी महज एक धोखा- रघुवर दास

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रांची: 

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने झारखंड की हेमंत कैबिनेट द्वारा 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता लागू करने और 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को लागू करने के प्रस्ताव को लागू करने के फैसले पर निशाना साधा। प्रदेश बीजेपी कार्यालय में रघुवर दास ने कहा कि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता निर्धारित करने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास करना दरअसल, जनता को भ्रम संशय में डालने जैसा है। रघुवर दास ने कहा कि खुद मुख्यमंत्री विधानसभा में कह चुके हैं कि 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति लागू नहीं की जा सकती। कानूनन सही नहीं है। 

खतियान पर सीएम हेमंत के बयान को दोहराया
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रेस वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा बजट सत्र के दौरान 23 मार्च 2022 को सदन में दिए गए व्यक्तव्य को सुनाया। उसमें सीएम कहते हुए सुने जा सकते हैं कि किसी भी कानून के जानकार से पूछ लीजिए कि क्या खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू की जा सकती है। यदि सदन में ले भी आए तो हाईकोर्ट से खारिज हो जाएगा। लोग बंट जाएंगे। रघुवर दास ने कहा कि ये व्यक्तव्य खुद सीएम हेमंत का है। हमने तो इसमें कुछ भी नहीं कहा। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान की 9वीं अनुसूचि में शामिल हुए बिना खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू हो नहीं सकती क्योंकि ये विधिसम्मत नहीं है। उन्होंने कहा कि स्थानीय नीति का मामला हो। आरक्षण का मामला हो या कोई और फैसला, संविधान सम्मत होना चाहिए।

रघुवर दास ने 2016 की नियोजन नीति का जिक्र किया
रघुवर दास ने अपने कार्यकाल का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि मैंने 2016 में नियोजन नीति बनाई थी। हमने 1985 को कटऑफ डेट माना। उसपर कोई विवाद नहीं हुआ। कोर्ट-कचहरी नहीं होगी। झारखंड के बच्चों को थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में प्राथमिकता दी गई। उक्त प्राथमिकता 10 वर्ष के लिए निर्धारित की गई। झामुमो ने हमारे फैसले का विरोध किया।

बीजेपी ने थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में जो प्राथमिकता दी थी, झामुमो ने कोर्ट में उसे गलत बताया। रघुवर दास ने कहा कि रोज अखबारों में मुख्यमंत्री का बयान पढ़ता हूं कि हमने हजारों युवाओं को नौकरी दी। ये सरासर झूठ है। उन्होंने कहा कि नियुक्ति के नाम पर झांसा दिया जा रहा है। सारे मुद्दों को स्थानीय नीति को लेकर उलझा दिया है। लटकाया जा रहा है। भटकाया जा रहा है। 

ओबीसी आरक्षण को लेकर भी रघुवर ने साधा निशाना
रघुवर दास ने ओबीसी आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी किए जाने पर भी निशाना साधा। कहा कि जहां तक आरक्षण की बढ़ोतरी का निर्णय है। वो भी विधिसम्मत नहीं है। असंवैधानिक है। इसे लागू करना भी असंभव प्रतीत होता है। रघुवर दास ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के जरिए सरकार ने आदिवासियों और मूल निवासियों की भावना के साथ खिलवाड़ किया। कहा कि आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार उक्त श्रेणी के विद्यार्थियों की संख्या निर्धारित करना जरूरी होता है। मुख्यमंत्री आरक्षण को किसी राजा की तरह बांट रहे हैं। सरकार ने बताया नहीं कि किस आधार पर आरक्षण बढ़ाया गया है। 

राजतंत्र की तरह शासन चला रहे हैं सीएम हेमंत
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां लोकतंत्र है। राजतंत्र नहीं है। उन्होंने कहा कि बीजेपी भी 27 फीसदी आरक्षण देने की पक्षधर रही, इसलिए हमने 2019 में राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों को सर्वेक्षण का निर्देश दिया था। सीएम से जानना चाहता हूं कि 2019 में बीजेपी ने सभी जिलों के उपायुक्तों को पिछड़ों का आर्थिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। क्या उसकी रिपोर्ट आ गई है।

यदि रिपोर्ट आ गई है तो सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए। यदि रिपोर्ट नहीं आई है तो सरकार ने किस आधार पर आरक्षण बढ़ाया। पूर्व सीएम ने कहा कि आरक्षण के लिए मानकों का पालन नहीं किया गया। मौजूदा सरकार पद का दुरुपयोग कर अवैध खनन में लिप्त है। आरक्षण का मामले में व्यवासियक रूप से जनता को धोखा दिया जा रहा है। निर्धारित प्रक्रिया के बिना ऐसे फैसले लेना प्रजातंत्र के खिलाफ है। मन की इच्छा से सरकार नहीं चलती। सीएम को इस बात की जानकारी होनी चाहिए।