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रांची : 15 साल से एन्सेफेलोसेले से जूझ रही सालमुनि का रिम्स में सफल ऑपरेशन, 2 माह बाद गई घर

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रांचीः 
रिम्स में 22 वर्षीय सालमुनी कोड़ा जो पश्चिम सिंहभूम जिले के जुगीनंदा गांव में रहती है उसका जटिल ऑपरेशन किया गया है। 15 साल से सालमुनी के चेहरे पर और ब्रेन में एन्सेफेलोसेले (ट्यूमर की तरह आकृति) थी। यह काफी बड़ी थी। एन्सेफेलोसेले ब्रेन के अंदर से कुछ लिक्विड जैसा पदार्थ बाहर निकलने के बाद बन जाता है। इससे चेहरे पर ट्यूमर जैसे स्ट्रक्चर का निर्माण चेहरे पर हो जाता है।  करीब 2 महीने के बाद सालमुनि अस्पताल से घर गई.

 

टीम ने की सफलता पुर्वक सर्जरी
इस जटिल ऑपरेशन को रिम्स में सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है। रिम्स के न्यूरो विभाग के डॉक्टर प्रोफेसर अनिल कुमार, डॉ विराट व डॉक्टर विकास कुमार ने मिलकर सालमुनि का ऑपरेशन किया। डॉक्टर विकास ने बताया कि सालमुनि पिछले 15 साल से इस बीमारी से जूझ रही थी। कमल कुमार नामक एक समाजसेवी ने मुझे ट्विटर पर टैग कर सालमुनि के बीमारी के बारे में जानकारी दी  तो मैं तुरंत इस मामले में एक्टिव हुआ। सालमुनि को रांची बुलाया गया। उसका पूरा चेकअप किया गया और फिर दो स्टेज में ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। अब सालमोनी बिल्कुल ठीक है। यह ऑपरेशन इसलिए जटिल था क्योंकि यह ब्रेन के अंदर से जुड़ा हुआ था। ऑपरेशन थोड़ा मुश्किल रहा लेकिन सालमुनि के धैर्य और पूरी टीम के सूझबूझ से इस ऑपरेशन को सक्सेसफुली अंजाम दिया गया। 


क्यों होता है एन्सेफेलोसेले
एन्सेफेलोसेले के लिए जिम्मेदार सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चला हैं। हालांकि यह माना जाता है कि एन्सेफेलोसेले के विकास कई कारणों से होता है। जिसमें आनुवंशिक और पर्यावरणीय दोनों कारक शामिल हैं। इसके साथ-साथ मां की पोषण स्थिति (फोलिक एसिड की कमी) और गर्भावस्था की शुरुआत में टेराटोजेनिक एजेंटों के लिए मां का जोखिम शामिल है। एक छोटा प्रतिशत, अंत में, क्रैनियोफेशियल फांक के मामलों में कपाल कंकाल के अस्थि दोष, या संक्रमण या चोट से हड्डी के नुकसान के कारण होता है।