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SC ने आनंद मोहन की रिहाई पर नीतिश सरकार को जारी किया नोटिस, जानें क्यों

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द फॉलोअप डेस्क
आनंद मोहन की रिहाई का मामला नीतीश सरकार की परेशानी का सबब बन सकती है। क्योंकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही पूर्व सांसद आनंद मोहन को भी नोटिस दिया गया है। दरअसल बिहार के बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ डीएम कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने याचिका दायर की है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को सुनवाई की उमा देवी ने याचिका दायर कर आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की है। मालूम हो कि बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव किया था, इसके बाद आनंद मोहन सिंह गुरुवार (27 अप्रैल) सुबह 6.15 बजे सहरसा जेल से रिहा हुए हैं आनंद मोहन की रिहाई को उमा देवी खुद के साथ अन्याय बताती हैं। उनका कहना है कि ऐसा वोट बैंक की राजनीति के लिए हो रहा

जानें कैसे हुई आनंद मोहन की रिहाई
हाईकोर्ट ने डीएम हत्याकांड मामले में आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके तहत उन्हें 14 साल की सजा हुई थी। आनंद ने सजा पूरी कर ली थी। लेकिन जैन मैनुअल के अनुसार सरकारी कर्मचारी की हत्या के मामले में दोषी को मरने तक जेल में ही रहना पड़ता है। मगर इस नियम में नीतीश सरकार ने बदलाव कर दिया। 10 अप्रैल को राज्य सरकार ने इस मैनुअल में बदलाव किया जिसके तहत आनंद मोहन समेत 27 दोषियों की रिहाई हुई। हालांकि, आनंद मोहन पर 3 और केस चल रहे हैं, लेकिन इनमें उन्हें पहले से बेल मिल चुकी है।

जाने पहले क्या था नियम
26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम 481(i) (क) में कई अपवाद जुड़े, जिसमें काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी था। नियम के मुताबिक ऐसे मामले में सजा पाए कैदी की रिहाई नहीं होगी और वह सारी उम्र जेल में ही रहेगा।

यह किया गया बदलाव
10 अप्रैल 2023 को जेल मैनुअल से काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्याअंश को हटा दिया गया। जिसके बाद आनंद मोहन सहित उनके जैसे सभी कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हुआ है।

1994 को मुजफ्फरपुर में हुई थी डीएम की हत्या
1985 बैच के आईएएस अधिकारी जी कृष्णैय्या महबूबनगर के निवासी थे। यह अब तेलंगाना में आता है। पांच दिसंबर 1994 को बिहार के मुजफ्फरपुर में लोगों की भीड़ ने डीएम जी कृष्णैय्या की हत्या कर दी थी। जिस भीड़ ने डीएम की हत्या की थी उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहा था। जिसके चलते आनंद मोहन के खिलाफ अदालत में सुनवाई हुई और साल 2007 में ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुना दी मगर 2008 में पटना हाईकोर्ट ने मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। वहीं, अब बिहार सरकार ने नियमों में बदलाव कर आनंद मोहन को जेल से रिहा कर दिया है। इसको लेकर ही हंगामा मचा हुआ है।

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