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ग्रामीण विकास विभाग में 3000 करोड़ का हुआ घोटाला, सुप्रीम कोर्ट में ईडी का बड़ा दावा

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द फॉलोअप डेस्कः
ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर के आवंटन में कमीशनखोरी में 3000 करोड़ के प्रोसिड ऑफ क्राइम का खुलासा ईडी ने किया है। ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में हेमंत सोरेन की जमानत से जुड़े मामले में जो हलफनामा दिया है, उसमें ग्रामीण विकास विभाग में हुए घोटाले का भी जिक्र किया गया है। जिसमें ईडी ने बताया है कि टेंडर के आवंटन में कमीशनखोरी से 3000 करोड़ का घोटाला हुआ है। 


ईडी ने हलफनामे में बताया है कि यहां सिर्फ भूमि घोटाला ही नहीं हुआ, बल्कि यहां टेंडर कमीशन में भी बड़ा खेल हुआ है। टेंडर कमीशन घोटाला मामले में ही ईडी ने राज्य के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम को गत 15 मई को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। वे 17 मई से ईडी की रिमांड पर हैं, जिनसे पूछताछ चल रही है। ईडी ने अपने हलफनामे में इसका जिक्र किया है कि टेंडर कमीशन घोटाले में गत वर्ष 23 फरवरी को ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को गिरफ्तार किया था। उनके विरुद्ध जांच में करीब सवा सौ करोड़ की अवैध संपत्ति अर्जित करने का पता चला था। इसके बाद छानबीन में पता चला कि इस टेंडर कमीशन घोटाले में ग्रामीण विकास विभाग के करीबी वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं।


मिले सबूतों से पता चला कि यहां टेंडर में एक निश्चित कमीशन वरिष्ठ मंत्री व अधिकारियों को जाता है। इस तरह के अपराध की अनुमानित आय करीब 3000 करोड़ रुपये है। ईडी ने छह मई को ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल व संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम को गिरफ्तार किया था। तब छापेमारी में जहांगीर आलम के फ्लैट से 32 करोड़ 20 लाख रुपये नकदी मिले थे। छह, सात व आठ मई की छापेमारी में ईडी ने इस केस से जुड़े अन्य सहयोगियों के ठिकानों से छापेमारी में कुल 37.54 करोड़ रुपये की बरामदगी की थी। ईडी के दावे के अनुसार उक्त रुपये मंत्री आलमगीर आलम के कमीशन से संबंधित थे।


बुधवार को ईडी ने इसी मामले में ग्रामीण विकास विभाग में बड़े पद पर रहे एक अधिकारी को समन भी कर दिया है. उन्हें 24 मई को दिन के 11 बजे रांची जोनल ऑफिस में उपस्थित होने को कहा गया है। मंगलवार को ईडी ने विशेष अदालत में सौंपे कस्टडी पिटीशन में कुछ पन्नों का जिक्र किया था। वहीं जांच में सरकारी अधिकारी के नाम पर 4.22 करोड़ के घूस का साक्ष्य मिला था। ईडी के अधिकारियों ने जब इस संबंध में मंत्री का बयान लिया तो खुलासा हुआ कि एम का जिक्र उस अधिकारी के नाम के लिए हुआ है। वह अधिकारी विभाग में मई 2021 से सितंबर 2022 तक रहे थे। 


आलमगीर आलम ने भी पूछताछ में लिया अधिकारी का नाम
रिमांड के दौरान पूछताछ में मंत्री आलमगीर आलम ने भी उस अधिकारी का नाम लिया है। आलमगीर आलम से डायरी से जुड़े हिसाब किताब के विषय में पूछताछ की गई तो उन्होंने खुलासा किया कि विभागीय अधिकारी को 0.7 प्रतिशत प्रत्येक टेंडर में कमीशन मिलता था, लेकिन बाद में उसका कमीशन 1.25 प्रतिशत कर दिया गया था। जिसकी वजह से उन्हें हटाया गया था। ईडी की जांच में उक्त अधिकारी के अलावा दूसरे अधिकारी भी जांच के दायरे में हैं। अधिकारी का नाम मनीष रंजन है। जिन्हें 24 मई को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। 


रंगों के नाम पर बनाया कोड, कई अन्य नामों का भी खुलासा
बुधवार को मंत्री आलमगीर आलम को ईडी ने कोर्ट में पेश किया। इस दौरान कोर्ट को दिए रिमांड पिटीशन में भी कई नए लोगों के नाम पर कोड का खुलासा होने का जिक्र दस्तावेजों में किया गया है। इस दौरान दिए पन्ने में कुल 2868.45 का आंकड़ा दिया गया है। जिसमें साहब नाम के आगे 16.98 का जिक्र है। वहीं इस राशि में 5.40 की राशि घटाकर 11.58 का जिक्र किया गया। पन्ने में अलग-अलग अंकों के साथ ब्लैक क्लाउड, गुप्ता, मुन्ना, रेड विकास, परपल टीआरए, ग्रे बी, ग्रे टीआरए, आरआईएन बिरसा, कुल चेरी जैसे कोड भी लिखे गए हैं।

ईडी ने आलमगीर आलम के रिमांड पिटीशन में भी जिक्र किया है कि उनके लिए कोड एम और एच का इस्तेमाल होता था। साथ ही जनवरी महीने के 25 छोटे टेंडरों में उनके कमीशन के 1.23 करोड़ मिलने का जिक्र किया है। ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया है कि आलमगीर आलम ने सितंबर 2022 में एक सहायक अभियंता से कमीशन के तौर पर तीन करोड़ वसूले थे। जिसके साक्ष्य एजेंसी को मिले हैं।

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