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पति की मौत स्वाभाविक नहीं थी, जांच की मांग को नजरअंदाज किया गया था- सीता सोरेन

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द फॉलोअप डेस्कः
BJP में शामिल होने के बाद आज पहली बार सीता सोरेन रांची पहुंचीं। बीजेपी प्रदेश कार्यालय में उन्होंने मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 19 तारीख को मैंने भाजपा ज्वाइन किया। मोदी जी के विशाल परिवार में मैंने योगदान दिया। इस परिवार में आने के बाद के मुझे खुशनुमा वातावरण मिला। मुझे 14 साल के संघर्ष में भी वह सम्मान जेएमएम में नहीं मिला जिसकी मैं हकदार थी। मेरे पति दुर्गा सोरेन और ससुर ने झारखंड को अलग राज्य बनाया। दुर्गा सोरेन जी का अहम योगदान था इस राज्य को बनाने में। वो वंचित शोषित के लिए काम करते थे लेकिन, बाद में उनका सपना अधूरा रह गया।

सीता सोरेन ने कहा कि मेरे पति के सपने को जेएमएम पूरा नहीं कर पाया। मेरे छोटे-छोटे बच्चों को मैंने किस तरह पाला यह मैं ही जानती हूं। मेरे बच्चों को और मुझे पीड़ा का सामना करना पड़ा। मुझे दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पहले जब मेरे ससुर की तबीयत ठीक थी तब वह हमें देखते थे लेकिन बाद में जब उनकी तबीयत खराब होने लगी तो हमें अलग थलग रखा गया। मैंने जो यह निर्णय लिया वह मेरा व्यक्तिगत निर्णय है। इसमें कोई राजनीतिक षडयंत्र नहीं है। 


पति की मौत की जांच हो 
सीता सोरेन ने कहा कि मोदी जी के विशाल परिवार में आना मेरे लिए गर्व की बात है। वह देश दुनिया को रौशन करने के लिए बीड़ा उठाए हैं। उनकी विचारधारा से ही विकास होगा। कई ऐसे कामों को जो मैं झामुमो में रहकर नहीं कर पाई। उन कामों में मैं आपको बताना चाहूंगी। सीता सोरेन ने कहा कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया था कि उनके पति दुर्गा सोरेन की आदमकद प्रतिमा लगाई जाए लेकिन उनकी मांग को अनसुना कर दिया गया। मैंने पति के असामयिक मौत की जांच की मांग की थी, उसे भी अनसुना कर दिया गया। उन्होंने कहा कि जिस दिन कल्पना मुर्मू सोरेन गिरिडीह गई थीं, तब पति दुर्गा सोरेन का अपमान हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में स्वर्गीय दुर्गा सोरेन का नाम तक नहीं लिया। मैं उनका अपमान बर्दाश्त नहीं करूंगी। 


भाजपा में ही महिलाओं का विकास है 
भाजपा में आज महिलाओं को नारी शक्ति को जिस तरह से सम्मान मिल रहा है उसे ही देखते हुए मैंने यह निर्णय लिया कि मैं इसमें शामिल हो जाऊंगी। द्रौपदी मुर्मू जो कि एक छोटे से गांव से आती है उनको राष्ट्रपति बनाया गया। राज्यसभा, लोकसभा में महिलाओं को आरक्षण मिला। इससे यह पता चलता है कि केवल भाजपा में ही महिलाओं का विकास है। जब तक दुर्गा सोरेन जी थे तब तक पार्टी का नीति सिद्धांत ठीक था। आज उनके नहीं रहने पर सभी मूल भावनाओं से भटक गये हैं। आज दलालों की मनमानी चलती है। ऐसे में हमारे झारखंड के आदिवासी-मूलवासी का विकास कैसे होगा। ये झारखंड अभी तक अंधेरे में डूबा हुआ है। हमको इसको उजाले में लाने के लिए यह कदम उठाना पड़ा। दुर्गा सोरेन जी का सपना इसी के सिद्धांतों पर चलकर होगा। 14 की 14 लोकसभा सीटों पर कमल खिलेगा। सीता सोरेन ने दुमका में हेमंत सोरेन से मुकाबला होने के सवाल पर कहा कि मैदान में जो भी हो, जीत कमल की होगी। उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है। दलाल किस्म के लोग उसमें शामिल हो गये हैं। 

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