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JMM में अब शिबू सोरेन की नहीं चलती, चलती तो मुझे पार्टी से निकलने नहीं देतेः सीता सोरेन

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द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रिमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन बीते 19 मार्च को भाजपा में शामिल हो गईं। अपने परिवार की पार्टी छोड़कर जब वह  बीजेपी में शामिल हुईं तो पूरे देश में यह चर्चा का विषय बन गया। उस दिन से सीता सोरेन हर कदम पर सबकी पैनी नजर हैं। वह क्या लिखती हैं, क्या बोलतीं है हर मोमेंट पर मीडिया से लेकर आम जनता तक की नजर हैं। उनके हर ट्वीट का कुछ ना कुछ खास मतलब होता है। इस बार उन्होंने अपने ससुर शिबू सोरेन को लेकर ट्वीट किया है। सीता सोरेन ने बताया है कि झामुमो में अब शिबू सोरेन की नहीं चलती है। झामुमो में कुछ ठीक नहीं है, अगर ठीक होता तो मेरे ससुर मुझे पार्टी से निकलने ही नहीं देते। सीता सोरेन ने ट्वीट कर कहा है कि "श्री शिबू सोरेन जी की अब झारखंड मुक्ति मोर्चा में नहीं चलती है, अगर झामुमो में उनका सब कुछ ठीक ठाक रहता तो वे मुझे पार्टी से निकलने ही नहीं देते।" 

गुरुजी की पार्टी में नहीं चलती है
बता दें कि इस बार झारखंड की राजनीति में दुमका लोकसभा सीट हॉट सीटों में शुमार है। बीजेपी प्रत्याशी के रूप में पहली बार दुमका पहुंची सीता सोरेन ने गुरुवार को जेएमएम पर जमकर निशाना साधा है। सीता सोरेन ने कहा है कि जेएमएम के संस्थापक 'गुरुजी' शिबू सोरेन की अब पार्टी में कोई पूछ नहीं है। उनकी पार्टी में कुछ नहीं चलती है। अगर उनकी चलती तो वे उन्हें पार्टी से बाहर निकलने नहीं देते। जेएमएम के सभी नेता अब दलाल बन गए हैं। पार्टी में भ्रष्टाचारी भावी हो गए हैं।


भाजपा का परचम लहराऊंगी
गुरुवार को बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सीता सोरेन का गर्मजोशी से भव्य स्वागत किया। इसी क्रम में सीता सोरेन ने पार्टी कार्यालय में जिला और प्रखंड स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर चुनावी तैयारी की समीक्षा की। बाद में सीता सोरेन ने जेएमएम की ओर से दुमका में शिकारीपाड़ा के विधायक नलिन सोरेन को प्रत्याशी बनाने पर कहा कि वे मेरे चाचा और अभिभावक हैं। मैं उनका सम्मान करती हूं। उनसे आशीर्वाद लेकर मैं दुमका सीट पर एक बार फिर बीजेपी का परचम लहराऊंगी।


पार्टी से इस्तीफा देते वक्त क्या कहा था सीता ने 
बता दें कि जिस दिन सीता सोरेन ने इस्तीफा दिया था उस दिन उन्होंने अपने ससुर शिबू सोरेन को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि "मैं अत्यन्त दुःखी हूं। मैनें यह दृढ़ निश्चय किया है कि मुझे झारखंड मुक्ति मोर्चा और इस परिवार को छोड़ना होगा. अतः मैं अपनी प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रही हूं।" शिबू सोरेन को लिखे पत्र में सीता ने कहा छा, "आपके समक्ष अत्यन्त दुःखी हृदय के साथ अपना इस्तीफा प्रस्तुत कर रहीं हूं। मेरे पति दुर्गा सोरेन झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे। उनके निधन के बाद से ही मैं और मेरा परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार रहे हैं। पार्टी और परिवार के सदस्यों द्वारा हमें अलग-थलग किया गया है, जो कि मेरे लिए अत्यन्त पीड़ादायक रहा है" इसके साथ ही उन्होंने कहा था, "मैंने उम्मीद की थी कि समय के साथ स्थितियां सुधरेंगी, परन्तु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ. झारखडं मुक्ति मोर्चा को मेरे पति ने अपने त्याग, समर्पण और नेतृत्व क्षमता के बल पर एक महान पार्टी बनाया था, आज वह पार्टी नहीं रही। मुझे यह देखकर गहरा दुःख होता है कि पार्टी अब उन लोगों के हाथों में चली गयी है, जिनके दृष्टिकोण और उद्देश्य हमारे मूल्यों और आदर्शों से मेल नहीं खाते।"

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