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Ranchi : चुआड़ विद्रोह के नायकों की सच्ची गाथा है फिल्म माटी के सपूत: सुदेश महतो

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रांची: 

आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे शुरुआती दौर में लोगों को एकजुट करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा था, ऐसे में ब्रिटिश हुकूमत के काले कानूनों के खिलाफ जनमानस को संगठित कर चुआड़ विद्रोह का शंखनाद करने वाले प्रथम स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद शहीद रघुनाथ महतो को इतिहास के पन्नों में संक्षिप्त परिचय दिया गया। 

शहीद रघुनाथ महतो की संघर्ष गाथा बताएंगे! 
आजसू प्रमुख ने कहा कि हमें इस परिचय को बड़ा करना होगा। हम शहीद रघुनाथ महतो की संघर्ष गाथा को देश-दुनिया तक पहुचाएंगे। उनके शहादत स्थल पर विश्वस्तरीय स्मारक बनाएंगे। इसकी शुरुआत की जा चुकी है। आज इसी का परिणाम है कि जिन शोधकर्ताओं ने माटी के सपूत को अपने इतिहास के पन्नों में जगह नहीं दिया, वे आज किताबों से लोटा किता तक आ गए हैं। लेकिन इस दिशा में अभी और भी कार्य बाकी है। पिछले वर्ष तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात कर किता रेलवे स्टेशन का नाम शहीद रघुनाथ महतो के नाम करने को लेकर उनका ध्यान आकृष्ट कराया था। 

रघुनाथ महतो के नाम पर हो इस स्टेशन का नाम! 
सुदेश महतो ने कहा कि तत्पश्चात रेल मंत्रालय की ओर से यह सूचना दी गयी कि राज्य सरकार इस बाबत प्रस्ताव भेजे, तो आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं। तत्पश्चात हमने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि राज्य सरकार किता रेलवे स्टेशन का नामकरण शहीद रघुनाथ महतो के नाम पर करने की अनुशंसा केंद्र को भेजे, ताकि शहादत, लोकहित और भावना से जुड़े इस विषय को मूर्त रूप मिले और झारखंडी वीर सपूत को पूरे भारत के लोग जान सकें। 

बिरसा मुंडा से परिचित कराने में 70 वर्ष लगे! 
भगवान बिरसा को पूरा देश जानें, इसमें 70 वर्ष से ऊपर का समय लग गया। हमें अपने वीर शहीदों, अपनी माटी के साथ न्याय करना है तो निरंतर प्रत्यनशील रहना होगा, अपने हक-अधिकारों के लिए लड़ना होगा। अब अमर शहीद रघुनाथ महतो की शौर्य गाथा को देश-दुनिया तक पहुँचाने की बारी है। वीर शहीद रघुनाथ महतो का नाम बहादुरी, राष्ट्रभक्ति एवं बलिदान का पर्याय है।

झारखंड की गौरव गाथा है चुआड़ विद्रोह
आजसू प्रमुख ने कहा कि"माटी के सपूत" देश की आजादी में चुआड़ विद्रोह के दौरान अमर शहीद रघुनाथ महतो जी के योगदान को संग्रहित व दस्तावेजीकृत करने का एक संकल्प है। ज्ञात हो को 1769 में सिल्ली, जंगलमहल, कोल्हान, बीरभूम, बडाभूम, पातकोम आदि क्षेत्रों में अंग्रेजों के खिलाफ रघुनाथ महतो के नेतृत्व में चला चुआड़ विद्रोह झारखंड की एक गौरव गाथा है। देश भर में आजादी का यह पहला बिगुल था। दुर्भाग्यवश आजादी के उपरांत ऐसे अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान इतिहास के पन्नों में गुम हो गए।

केवल अलग झारखंड राज्य मिल जाना की पर्याप्त नहीं! 
साथ ही उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि अलग झारखण्ड राज्य मिलना ही पर्याप्त नहीं, अपने लोगों के हितों के लिए हमें लड़ते रहना होगा। झारखण्डियों को आगे ले जाना ही हमारी पहली और आखिरी कोशिश होनी चाहिए। झारखण्ड को शीर्ष प्रदेशों की सूची में शामिल करने के विज़न के साथ हमें आगे बढ़ना होगा। लोगों को एकजुट करना होगा।सशक्त, शिक्षित एवं संगठित समाज बनाने की जिम्मेदारी हम सभी पर है। 

शहादत स्थल के प्रवेश द्वार का शिलान्यास भी किया
साथ ही सुदेश कुमार महतो ने लोटा किता में शहीद रघुनाथ महतो शहादत स्थल के प्रवेश द्वार निर्माण कार्य का भी शिलान्यास किया। कहा कि शहादत स्थल पर विश्वस्तरीय स्मारक बनाने की तैयारी है। आज सिल्ली से दिल्ली तक लोग शहीद रघुनाथ महतो को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहें। अब पूरे देश में झारखंड के इस वीर सपूत की शौर्य गाथा को पहुँचाना है।