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बिहारी आदिवासियों औऱ रोहतासगढ़ किले का अध्ययन के लिए रांची से रवाना हुआ दल

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रांची 

रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग से 6 शोधर्थियों का एक दल रोहतासगढ़ किले के शोध के लिए आज बिहार रवाना हुआ। इसकी पहल पूर्व मंत्री, झारखंड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने की है। तिर्की ने कहा कि शोधार्थियों का ये दल बिहार में रह रहे आदिवासियों की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृति हालात का भी जायजा लेगा। इस अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के समन्वयक एवं कुडुख भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो हरि उरांव ने कहा कि जनजातीय जीवन, संस्कृति एवं परिस्थितियों का अनुसंधान भविष्य में दशा-दिशा तय करने वाला हो सकता है। यह रांची विश्वविद्यालय का एक सकारात्मक प्रयास है। 

बिहार में क्या करेगा शोधार्थियों का दल 
शोधार्थी दल के भ्रमण के दौरान रोहतासगढ़ में आदिवासियों विशेषकर उरांव जनजाति की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, रोजगार एवं उनके परिवार, रीति रिवाज का अध्ययन करेगा। उनके पलायन के कारणों के विषय में विस्तृत अध्ययन किया जायेगा। उरांव जनजाति की प्रशासनिक एवं न्यायिक व्यवस्था, विवाद निपटारे के तरीके और प्रावधान का पता किया जायेगा। रोहतासगढ़ किले के निर्माण के अध्ययन के साथ ही वहां के पुरातात्विक महत्व का भी अनुसंधान होगा। 28 किलोमीटर की परिधि में निर्मित चारदीवारी के अन्दर रोहतासगढ़ का किला अवस्थित है। किले के अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष जनजातीय परिप्रेक्ष्य में बहुत महत्वपूर्ण होगा। बता दें कि रोहतासगढ़ के आसपास के 85 गांवों में आदिवासियों विशेषकर उरांव जनजाति की अच्छी-खासी संख्या है। 

दोनों राज्य के सीएम को करेंगे अवगत 

प्रो उरांव ने कहा कि दल के अनुसंधान के पश्चात प्राप्त परिणामों से हेमन्त सोरेन के साथ ही नीतीश कुमार को भी अवगत कराया जायेगा। इसके अतिरिक्त बिहार के पर्यटन मंत्री तेजस्वी यादव से भी रोहतासगढ़ क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कहा जायेगा। सरिता कुमारी के नेतृत्व में रोहतासगढ़ रवाना हुए शोधार्थियों के दल में सुखराम उरांव, जगदीश उरांव, प्रियंका उरांव, शीला कुमारी आदि शामिल हैं।