रांची
चुनाव के पहले रांची को 2 नई ट्रेन मिली थी जिसमे से एक मदार (अजमेर) - रांची के बीच चलने वाली स्पेशल ट्रेन आज अखिरी बार रांची से प्रस्थान करेगी। इस ट्रेन मे लंबी वेटिंग लिस्ट होने के बावजूद रेलवे इसके परिचालन को आगे नहीं बढ़ाया, तत्काल टिकट भी पूरी तरह बिक चुका है। यात्रियों की मांग को भी रांची रेल मंडल एवं उत्तर पश्चिम रेलवे अनदेखी कर रहा है। इसके अतिरिक्त रांची के लोग चक्रधरपुर व टाटानगर जाते हैं अहमदाबाद की ट्रेन पकड़ने। रांची से जो भी ट्रेन गुजरती है उनमे तो सीट का कोटा ही नहीं है, झारखंड के कई लोग असम के चाय बागान मे काम करने जाते है डिब्रूगढ़, पर यहाँ से भी रांची की सीधी ट्रेन नहीं है। कई लोगो ने इस समस्या को लेकर ट्वीटर एवं फैसबुक जैसे सोसल मिडिया प्लेटफार्म पर लिखा है परंतु जवाब मे सिर्फ़ निराशा ही हाथ लगी। जयपुर जाने वाले लोग भी इस ट्रेन से यात्रा करते थे।
हालांकि, इन मांगों के बावजूद रांची को अभी तक इन शहरों से जुड़ी कोई सीधी ट्रेन सेवा प्राप्त नहीं हो पाई है। यह स्थिति खासतौर पर तब और ज्यादा चिंता का विषय बन जाती है जब रांची को राज्य की राजधानी होने के बावजूद अन्य राज्यों की राजधानी से सीधे तौर पर ट्रेन कनेक्टिविटी नहीं मिल पा रही है।
दक्षिणी-पूर्वी रेलवे और पश्चिम-मध्य रेलवे जैसे रेलवे जोन के अधिकारियों के रवैये के कारण यह समस्या और भी गंभीर हो गई है। यह कहा जा रहा है कि अधिकारी केवल खानापूरी करने के लिए कुछ लोकल ट्रेनों का संचालन कर वाहवाही बटोर रहे हैं, जबकि रांची को लंबी दूरी की प्रमुख ट्रेनों की आवश्यकता है। रांची के डीआरएम (डिवीजनल रेलवे मैनेजर) का भी इस मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं है और न ही इस पर कोई ठोस कदम उठाया जा रहा है।