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देश की आजादी के लिए अविस्मरणीय है झारखंड के शहीदों का बलिदान- भूषण बाड़ा

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द फॉलोअप डेस्क 
सिमडेगा जिला कांग्रेस कमेटी ने हूल दिवस के मौके पर हूल विद्रोह के नायक सिदो-कान्हू, फूलो-झानो आदि को याद किया और उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मौके विधायक भूषण बाड़ा ने कहा कि झारखंड के शहीदों का बलिदान देश की आजादी के लिए अविस्मरणीय है। जिसे भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य के अमर शहीद सिदो-कान्हू, फूलों झानो, चांद भैरव जैसे असंख्य शुरवीरों ने बलिदान देकर देश की आजादी के आंदोलन की शुरुआत कर जोश भरने का काम किया। विधायक ने कहा कि आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले आदिवासियों के संघर्ष गाथा और उनके बलिदान को याद करने का यह खास दिन है। जिसे हम हूल दिवस रूप में मनाते हैं। इन अमर शहीदों की शौर्य गाथाएं, भावी पीढ़ियों को सदैव मातृभूमि की सेवा करने के लिए प्रेरित करती रहेंगी। विधायक भूषण बाड़ा ने कहा कि आदिवासियों के संघर्ष गाथा, उनके बलिदान तथा अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह के प्रतीक के तौर पर आज हूल दिवस मनाया जा रहा है। हूल दिवस के अवसर पर अमर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो सहित सभी वीरों को कोटि-कोटि प्रणाम। उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई वैसे तो सन 1857 में मानी जाती है, किन्तु इसके पहले ही हमारे झारखंड राज्य के संथाल परगना में संथाल हूल या संथाल विद्रोह के द्वारा अंग्रेज़ों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी। विधायक ने कहा कि अंग्रेजों और महाजनों के शोषण, दमन के खिलाफ सिदो-कान्‍हू ने लोगों को संगठित किया था और 1855 में अंग्रेजी शासन के खिलाफ विगुल फूंका था। इन्होंने महाजनी प्रथा और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संथाल में आवाज बुलंद किया था। 

झारखंड से शुरू हुई आजादी का उलगुलान पूरे देश में फैला और देश आजाद हुआ- जिप सदस्य जोसिमा खाखा

जिप सदस्य जोसिमा खाखा ने कहा कि आज ही के दिन 30 जून 1855 को अंग्रेजो के खिलाफ सिदो- कान्हू के नेतृत्व में उनके अन्य भाई- बहन चांद- भैरव व फूलो- झानो ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जल- जंगल और जमीन की रक्षा को लेकर आंदोलन का बिगुल फूंका था। जिसमें 30,000 से भी ज्यादा महिला- पुरुष शहीद हुए थे। जोसिमा ने कहा कि आज ही के दिन संथाल परगना के भोगनाडीह से शुरू हुई आजादी का उलगुलान पूरे देश में फैला और देश आजाद हुआ। उन्हीं अमर शहीदों की याद में हर साल हूल क्रांति दिवस मनाया जाता है। 

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