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छत पर तिरंगा झंडा लगाने के दौरान करंट लगने से तीन लोगों की गयी थी जान, सरकार बोली थी परिजन को नौकरी देंगे, अभी तक नहीं मिली

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द फॉलोअप डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद हर घर तिरंगा अभियान में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिला। लोगों न अपने घर पर तिरंगा झंडा लगाकर बड़ी शान से आजादी की 76वीं सालगिरह मनायी। साल 2022 में भी यह अभियान खूब जोर-शोर से चला था। लेकिन, झंडा लगाने के दौरान आज से ठीक एक साल पहले 14 अगस्त को रांची के कांके इलाके के एक परिवार के साथ जो हुआ था, उसे याद कर कोई भी सिहर उठता है। 14 अगस्त 2022 को हर घर तिरंगा अभियान के तहत कांके के बोड़ेया अरसंडे में तिरंगा झंडा लगाने के दौरान एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत करंट लगने से हो गयी थी। आज हम द फॉलोअप में उस घटना का फॉलोअप करेंगे। जानेंगे कि उस परिवार की आज क्या स्थिति है, जिसके आंगन से तीन लोगों की अर्थी एक साथ उठी थी। यह भी जानेंगे कि आखिर घटना के बाद जो संवेदना और अपनापन सरकार और राजनेताओं ने दिखायी थी, उस पर कुछ काम हुआ या नहीं। जो वादे किये गये थे, वे पूरे हुए या नहीं।


पहले जानिये क्या हुई थी घटना

14 अगस्त 2022 को रांची समेत आसपास के इलाकों में खूब बारिश हो रही थी। 13 अगस्त से 15 अगस्त तक चलनेवाला ‘हर घर तिरंगा अभियान’ को सफल बनाने में देशवासियों के साथ-साथ कांके के विजय झा के परिवार में उत्साह देखा जा रहा था। विजय झा डेयरी से जुड़ा काम करते थे। विजय झा के बच्चों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर अपनी छत की बालकनी में तिरंगा झंडा लगाया था। शाम का वक्त था। बारिश और आंधी अधिक होने के कारण झंडा का डंडा घर के बगल से गुजरे 11 हजार वोल्ट के बिजली के तार पर गिर गया। जब झंडा गिरा, उस वक्त बिजली नहीं थी। वैसे में विजय झा का 27 वर्षीय बेटा विनीत झंडा को उठाने गया, लेकिन जैसे ही उसने झंडा उठाया बिजली आ गयी। चूंकि झंडा का डंडा स्टील का था, तो विनीत करंट की चपेट में आ गया और उसका शरीर जलने लगा। 
नीचे घर के आंगन में खाना बना रहीं आरती और पूजा को जैसे ही पता चला कि भैया को करंट लग गया, वे बचाने के लिए दौड़ीं। लेकिन, तब तक बारिश में भीग चुके आंगन और सीढ़ियों पर भी करंट दौड़ चुका था। ऐसे में पूजा और आरती भी करंट की चपेट में आ गयीं। जब तक कोई कुछ समझ पाता, तब तक तीनों की मौत हो चुकी थी।


घटना के बाद बिजली विभाग पर लापरवाही के आरोप लगे। विधायक, सांसद से लेकर मंत्री तक विजय झा को इस दुःख की घड़ी में सांत्वना देने पहुंचे। घटना के दूसरे दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का प्रतिनिधि बनकर मंत्री मिथिलेश ठाकुर भी परिवारवालों से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने बिजली विभाग की लापरवाही की बात कहते हुए तुरंत घर के बगल से तार हटाने का निर्देश दिया था। साथ ही कहा था कि परिवारवालों को आर्थिक रूप से मदद की जायेगी और एक सदस्य को अनुबंध के आधार पर नौकरी दी जायेगी। घोषणा और आश्वासन का एक साल बीत गया, लेकिन परिवार के किसी सदस्य को नौकरी नहीं मिली। तीनों मृतक के बदले पांच-पांच लाख रुपये आर्थिक मुआवजा तो दिया गया, लेकिन नौकरी नहीं मिल सकी। 


एक साल बाद क्या है स्थिति 
तिरंगा झंडा लगाने के दौरान करंट से जिन तीन लोगों की मौत हुई थी, उनका नाम था विनीत झा, पूजा झा और आरती झा। तीनों होनहार स्टूडेंट्स थे। पूजा की सरकारी नौकरी भी लग चुकी थी। 26 अगस्त को उसे एसबीआई बैंक में ज्वॉइन भी करना था, लेकिन उससे ठीक 12 दिन पहले यह घटना हो गयी। किसी तरह मेहनत मजदूरी करके उन्होंने तीनों बच्चों को पढ़ाया था। एक बेटा प्राइवेट जॉब करता था। घटना में जब उसके तीनों भाई-बहन चल बसे, तब से वह भी घर पर बैठा है। इसी उम्मीद में कि शायद सरकार की तरफ से नौकरी मिल जाये। विजय झा बताते हैं कि एक साल में सरकार की तरफ से जो 15 लाख रुपये आर्थिक मुआवजा मिला, उसमें से आधा खत्म हो चुका है। उन्होंने बताया कि दो-तीन लाख रुपये तो खाने में खर्च हो गये और चार-पांच लाख रुपये घर बनाने में खर्च हुए। वह बताते हैं कि बारिश का पानी घर के अंदर आने के कारण ही ऐसा हादसा हुआ था, इसलिए घर बनाना बहुत जरूरी था।


कहां फंसा है नौकरी का मामला 
14 अगस्त 2022 की घटना के लगभग दो महीने बाद कांके प्रखंड विकास पदाधिकारी ने रांची डीसी को विभागीय पत्र के माध्यम से बताया था कि बोड़ेया अरसंडे में विजय झा के परिवार के तीन लोगों की मौत के मामले में परिवारवालों ने नौकरी की मांग की है। उसके बाद रांची डीसी ने ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव को 13 दिसंबर 2022 को पत्र लिखा। उसके बाद 12 जुलाई 2023 को पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर के आप्त सचिव जन्मजय ठाकुर ने रांची डीसी को पत्र लिखा और कहा कि परिवार के राहुल कुमार झा को प्रखंड या अंचल कार्यालय में संविदा पर नौकरी देने की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर शीघ्र आवश्यक कार्रवाई करें। मामला अब तक ऊर्जा विभाग में लंबित है और परिवार के लोग आज भी नौकरी की आस में हैं।

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