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रांची : झारखण्ड में प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाएं और इसके विस्तार के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकताः संजय मिश्रा

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 रांचीः
झारखंड सी.एस.ओ. फोरम एवं  एन.सी.एन.एफ. (National Coalition for Natural Farming) के संयुक्त तत्वाधान में सप्तऋषि सेवा भवन, तुपुदाना, रांची में  19 और 20 अप्रैल 2022 को  प्राकृतिक कृषि कार्य योजना विकसित करने के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों के 50 से अधिक सिविल सोसाइटी संगठनों, विभिन्न शोधकर्ताओं, कृषि वैज्ञानिकों और झारखंड में प्राकृतिक खेती में सक्रिय रूप से काम कर रहे किसानों ने भाग लिया। कार्यशाला के मुख्य अतिथि द रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय मिश्रा थे। इस अवसर पर संजय मिश्रा ने कहा कि “राज्य में प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाएं हैं और सुनियोजित दिशा में यदि सभी हितधारक मिलकर एक साथ कार्य करें तो राज्य की एक विशिष्ट पहचान बन सकती है, जिससे बड़े पैमाने पर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ साथ पर्यावरण, स्वास्थ्य और पोषण सम्बन्धी समस्याओं का हल किया जा सकता है “ । 


क्या है कार्यशाला का उद्देश्य 
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक खेती पर सिविल सोसाइटी संगठनों के गठबंधन को मजबूत करना है। साथ ही राज्य में प्राकृतिक कृषि प्रणाली को पुनर्जीवित करने की दृष्टिकोण से झारखंड के परिपेक्ष्य में अगले 10 वर्षों के लिए एक कार्य योजना विकसित करना है। भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक सुशांत नायक, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. सिद्धार्थ जायसवाल, रामकृष्ण मिशन संस्थान के डॉ. सुदर्शन विश्वास सहित देश एवं राज्य के बिभिन्न नेटवर्क इस कार्यशाला के प्रमुख हिस्सा थे जिन्होंने प्राकृतिक खेती पर परिचर्चा एवं परिप्रेक्ष्य निर्माण के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। 


सिविल सोसाइटी संगठन की भूमिका अहम 
इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक सुशांत नायक ने कहा कि- प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर करने के लिए सिविल सोसाइटी संगठन की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है एवं भारतीय कृषि अनुसन्धान केंद्र इस संयुक्त प्रयास में एक सक्रिय सहयोग को लेकर कृतसंकल्प है l डॉ नायक ने  राज्य के किसानों को पोषण के साथ साथ उचित आमदनी दिलाने में इस प्रयास की सराहना की l


 किसानों को पशुधन रखने की आवश्यकता 
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. सिद्धार्थ जायसवाल ने कहा की किसानों को पशुधन /देशी गाय रखने की आवश्यकता है, जिसके गोबर एवं मूत्र से जैविक दवाइयाँ एवं जैविक खाद बनाने हेतु इनपुट आसानी से प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कृषि से न केवल हमें प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व युक्त भोजन प्राप्त होगा साथ-ही-साथ मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार करने में हम आगे बढ़ सकेंगे।

 

 
किसान मिश्रित खेती को अपनायें
रामकृष्ण मिशन के डॉ. सुदर्शन बिश्वास ने कहा कि- किसान मिश्रित खेती को अपनायें एवं अपने खेत में एक दलहनी फ़सल को अवश्य लगायें जिससे मिट्टी को भरपूर मात्रा में नाइट्रोजन मिल सके और उसके गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि किसान हाईब्रिड बीज का उपयोग ना करें। देशी बीज ही सबसे उपयुक्त एवं अच्छा बीज है। कार्यशाला में उपस्थित झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों के सक्रिय किसानों ने अपने अनुभवों को साझा किया, जो प्राकृतिक खेती पद्धति को पिछले कुछ वर्षों से अपनाये हैं। भविष्य में यह गठबंधन झारखंड को एक प्राकृतिक खेती करने वाला राज्य बनाने की दिशा में काम करने के लिए तत्पर है और इस प्रकार जागरूकता पैदा करने, संसाधनों का निर्माण करने और अपने मिशन को प्राप्त करने के लिए साझेदारी करने के लिए तत्पर है। इस कार्यशाला का सञ्चालन संयुक्त रूप से  NCNF के रोहित एवं प्रदान के नित्यानद दहल, आर.आर. नेटवर्क के सब्याक्षी दास एवं झारखण्ड सी एस ओ फोरम के विवेक रॉय द्वारा किया गया l इस अवसर पर भारत रूरल लाइवलीहुड फाउंडेशन ( BRLF ), वेल्थ हंगर लाइफ (WHH), WASAN, VBNET फाउंडेशन सहित झारखण्ड के सभी CSO नेटवर्क के सदस्य सहित किसानों ने अपने विचार रखे l