कोलकाता
वक्फ़ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर झारखंड और पश्चिम बंगाल के बुद्धिजीवियों, धार्मिक विद्वानों और सामाजिक व राजनीतिक विशेषज्ञों के बीच चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee - JPC) ने कोलकाता के होटल ITC सोनार में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। इस बैठक में दोनों राज्यों के कई प्रमुख समाजसेवी, धार्मिक विद्वान और राजनीतिक विशेषज्ञ शामिल हुए।
बैठक में झारखंड अंजुमन के कनवेनर जुनैद अनवर ने स्पष्ट रूप से कहा कि वक्फ़ बिल में प्रस्तावित संशोधन संविधान द्वारा प्रदत्त सामाजिक और धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है। उन्होंने कहा, "वक्फ़ का मामला पूरी तरह से धार्मिक है। इस संशोधन के माध्यम से हमारे धार्मिक अधिकारों को छीनने की कोशिश की जा रही है, जिसे हम हरगिज़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह विधेयक हमें हमारी परिसंपत्तियों के इस्तेमाल के लिए गैरों से अनुमति लेने को मजबूर करेगा, जो अस्वीकार्य है।"
झारखंड वक्फ़ बोर्ड के सदस्य जनाब इबरार अहमद ने कहा कि वक्फ़ के लिए पहले से ही पर्याप्त कानून मौजूद हैं। नए संशोधन की बजाय, पुराने कानूनों के क्रियान्वयन पर ध्यान देना चाहिए। बैठक में इमारत-ए-शरिया झारखंड और बिहार के प्रतिनिधियों ने भी इस विधेयक का कड़ा विरोध किया। रांची वार्ड 23 की पार्षद सजदा ख़ातून, झारखंड मुक्ति मोर्चा की युवा नेत्री गुलफ्शा शानी, और इस्लाम ईदरिसी ने भी इस विधेयक के खिलाफ पुरज़ोर आवाज़ उठाई। इस अवसर पर झारखंड के कई अन्य प्रभावशाली व्यक्तित्वों, जैसे मो. शकील, खालिद सैफुल्लाह, और मुफ्ती अनवर क़ासमी, ने भी बैठक में भाग लिया और अपने विचार रखे।
बैठक का निष्कर्ष
सभी वक्ताओं ने एकमत होकर वक्फ़ संशोधन विधेयक 2024 को खारिज करने की मांग की और इसे हमारे संवैधानिक व धार्मिक अधिकारों पर हमला बताया। बैठक ने इस विधेयक के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने का संकल्प लिया।