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सम्मान : इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली हिंदी लेखिका बनी भारत की गीतांजलि श्री

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डेस्क :
भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को इस साल का बुकर पुरस्कार मिला है। इस प्रकार गीतांजलि श्री भारत की पहली बुकर पुरस्कार विजेता बन गई हैं ,जिन्होंने हिंदी उपन्यास लिखकर यह खिताब हासिल किया है।अमेरिकन राइटर-पेंटर डेज़ी रॉकवेल ने टॉम्ब ऑफ सैंड के नाम से इस उपन्यास का इंग्लिश में अनुवाद किया। टॉम्ब ऑफ सैंड बुकर जीतने वाली हिंदी भाषा की पहली किताब है। साथ ही यह किसी भी भारतीय भाषा में अवॉर्ड जीतने वाली पहली किताब भी है।    

इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ जीतने की कल्पना नहीं की थी - गीतांजलि श्री
बुकर प्राइज जीतने के बाद गीतांजलि ने कहा कि उन्होंने कभी बुकर पुरस्कार जीतने के बारे में नहीं सोचा था। गीतांजलि श्री अब तक तीन उपन्यास और कथा संग्रह लिख चुकी हैं। उनके उपन्यासों और कथा संग्रह का अंग्रेजी, जर्मन सहित कई अन्य विदेशी भाषाओं  में अनुवाद हुआ है। गीतांजलि उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले की रहने वाली है।  

राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित 'रेत समाधि' ने जीता बुकर 
गीतांजलि श्री के द्वारा लिखी गई रेत समाधि को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया था। इसका अंग्रेज़ी अनुवाद मशहूर अनुवादक डेज़ी रॉकवेल ने किया है।  बुकर पुरस्कार की राशि 50,000 पाउंड यानी क़रीब 50 लाख रुपये की होती है। गीतांजलि श्री की इस किताब का साहित्यिक पुरस्कार के लिये पांच अन्य किताबों से प्रतिस्पर्धा हुई। बुकर पुरस्कार की राशि 50,000 पाउंड की राशि लेखिका और अनुवादक के बीच बराबर बांटी जाएगी।