द फॉलोअप डेस्क, नेशनल
सेना में भर्ती के लिए अग्निवीर योजना में कुछ बड़े बदलाव हो सकते हैं। इस योजना को जब लाया गया, तब इसमें बहुत सी खामियां पाई गईं। उसमें ऐसा तर्क दिया गया कि अगर मात्र 25 प्रतिशत को पक्की भर्ती मिलेगी तो जवान कभी एक दूसरे का सहयोग नहीं कर पाएंगे। हाल ही में हुए में सर्वे में यह बात सामने आयी है। रिपोर्ट के मुताबिक अग्निवीर योजना में कुछ बड़े बदलाव होने की संभवना है। इसमें अग्निवीरों की रिटेंसन पर्सेंट को 25 प्रतिशत से बढ़ाने के साथ उनकी ट्रेनिंग पीरियड को भी बढ़ाने की बात हुई है। गौरतलब है कि हाल ही मे वायु सेना, थल सेना और जल सेना में एक सर्वे किया गया था। सर्वे के बाद इस योजना से जुड़ा फीडबैक सामने आया है।
रिटेंशन 25 से बढ़कर 50 प्रतिशत करने पर चर्चा
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेना से जो फिडबैक मिला है, उससे पता चलता है कि अग्निवीर स्कीम के द्वारा जो जवान आयें है उनमे सामंजस्य और सौहार्द की कमी है। एक तरह की प्रतिस्पर्धा है जिससे वो एक दूसरे का सहयोग नहीं करते और आपस मे घुल-मिल नहीं पाते। रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से यह कहा गया है कि ऐसे गुण सशस्त्र बलों मे वांछनीय नहीं है। गौरतलब है कि जब इस योजना को लाने की बात की जा रही थी, तब भी इस तरह का तर्क दिया गया था। अगर 25 प्रतिशत जवान को पक्की जगह मिलेगी तो वे आपस में कभी एक दूसरे का सहयोग नहीं करेंगे। अब सेना मे अग्निवीर रिटेंसन 25 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 50 प्रतिशत करने की चर्चा है। यही नहीं विशेष बलों सहित तकनीकी और विशेषज्ञ सैनिकों के लिए लगभग 75 प्रतिशत तक बढ़ाने की चर्चा है। सेना की मानें तो इसका योजना का मकसद आपसी भाईचारा बढ़ाना और एक दूसरे को साथ लेकर चलने की भावना उत्पन्न कराना है।
योजना को लेकर मिले ये फीडबैक
अग्निपथ योजना से पहले सैनिकों का ट्रेनिंग पिरीयड 37 से 42 सप्ताह के बीच होता था। सेना को मिले फिडबैक के मुताबीक अग्निवीरों के लिए इस ट्रेनिंग पीरियड को घटाकर 24 हफ्ते करने से उनकी ट्रेनिंग पर बुरा असर पड़ रहा है। अगर ऐसा होता है, तो अग्निवीर भी ESM का लाभ उठाने के साथ पेंशन योग्य सेवा के हिस्से के रूप में गिने जाएंगे। हालांकि, इन सुझावों पर सेना चर्चा कर रही है। लेकिन इसे सेना में शुरू करने की बजाए केंद्रिय सशस्त्र पुलिस बलों मे लैट्रल इंट्री की बात चल रही है।
2022 में लायी गयी थी अग्निवीर योजना
बता दें कि कोविड-19 महामारी की वजह से सैन्य भर्ती रोक दी गयी थी। बाद में जून 2022 मे अग्निपथ योजना की घोषणा की गयी थी। जिसका मुख्य उदेश्य 4 साल के लिए वायु सेना, थल सेना और जल सेना में जवानों की भर्ती करना था। 4 साल पूरे हो जाने के बाद उनमें से मात्र 25% को ही रखने की बात तय की गई थी। रेगुलर सेवा में नियुक्त सैनिक और अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए गए सैनिक के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि रेगुलर सैनिक को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन मिलेगी, जबकि अग्निवीर को किसी भी तरह की पेंशन नहीं मिलेगी।