द फॉलोअप डेस्कः
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में हुई मुठभेड़ में नक्सलियों का बड़ा कमांडर चलपति मारा गया। चलापति 1 करोड़ का इनामी नक्सली था और बीते लगभग 35 वर्षों से सुरक्षाबलों से बच कर भाग रहा था। चलपति नक्सलियों की सेंट्रल कमिटी का सदस्य था। आंध्र प्रदेश में 2 बड़े नेताओं की दिनदहाड़े हत्या करवाने से लेकर सुरक्षाबलों पर दर्जनों हमलों करने में उसका हाथ था। चलपति के मरने के पीछे उसका नक्सली पत्नी अरुणा के साथ सेल्फी लेना बड़ा कारण रहा।
गरियाबंद में सोमवार (20 जनवरी, 2025) को चालू हुए इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने कुल्हाड़ीघात इलाके में नक्सलियों को घेरा था। इस इलाके में ओडिशा की सीमा से भी सुरक्षाबल घुसे थे। सुरक्षाबलों के ऑपरेशन में 60 नक्सलियों का जत्था फंस गया। इसके बाद दोनों तरफ से हुई फायरिंग में 14 नक्सली मारे गए। यह ऑपरेशन मंगलवार को भी चला। इस ऑपरेशन में मारे गए नक्सलियों में सबसे बड़ा नाम चलपति का था। सुरक्षाबलों को सर्च अभियान के दौरान उसकी लाश मिली।
कौन था नक्सली चलपति
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में जन्मे चलापति का असल नाम रामचन्द्र रेड्डी था। उसने विज्ञान से स्नातक और मैसुरु में डिप्लोमा की पढ़ाई भी की हुई थी। दावा है कि यहाँ तक कि वह आंध्र प्रदेश सरकार में भी काम कर चुका था। कुछ जगह दावा किया गया है कि चलापति स्कूल ही नहीं गया था लेकिन हिंदी, अंग्रेजी, उड़िया और तेलुगु पढ़ सकता था।
1990-91 के आसपास वह वामपंथी विचारधारा से प्रेरित होकर नक्सली बन गया और आतंक मचाने वाले संगठन पीपल्स वॉर ग्रुप (PWG) में शामिल हो गया। चलापति इसके बाद धीमे-धीमे बड़ा नाम बनता गया। 2004 में जब कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) बनी तो उसे इसमें प्रमुख जगह दी गई। चलापति इस पार्टी की सेंट्रल कमिटी में शामिल था।