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देश में लागू होगा नया टैक्स कानून, क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल एसेट्स सहित इन बदलावों को प्राथमिकता

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द फॉलोअप डेस्क
भारत के टैक्स सिस्टम को अधिक आधुनिक और कुशल बनाने के लिए एक नया टैक्स कानून पेश किया गया है। हालांकि, इस नए कानून में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स और शेयरों पर टैक्सेशन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। नया कानून पुराने टैक्स कानून से 50% छोटा है, जिसमें कुल 2.56 लाख शब्द हैं। जबकि पुराने कानून में यह संख्या 5 लाख शब्द थी। बहरहाल, कानून की केवल लंबाई कम की गई है। लेकिन इसकी मूल भावना अब भी वही है। जानकारी हो कि पुराने कानून में 80 से अधिक बार संशोधन हो चुके थे, लेकिन नए कानून में इसे सुव्यवस्थित किया गया है। अब डिजिटल अनुपालन को प्राथमिकता दी गई है। इससे टैक्स फाइलिंग, विवाद समाधान और असेसमेंट प्रक्रिया को आसान और तेज बनाया जा सके।

कैपिटल गेन टैक्स में क्या बदला
मिली जानकारी के अनुसार, नए बिल में कैपिटल गेन टैक्स की संरचना को बरकरार रखा गया है। लेकिन टैक्स नियमों को आसान बनाने के लिए सेक्शन्स को फिर से व्यवस्थित किया गया है। इसमें Clause 67 कैपिटल गेन टैक्स की परिभाषा और चार्जेबिलिटी को स्पष्ट करता है। वहीं, Clause 196 शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) पर टैक्स लागू करता है, जो 12 महीने के अंदर बेचे गए शेयरों, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स या बिजनेस ट्रस्ट यूनिट्स पर लागू होगा। साथ ही Clause 197 लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) को परिभाषित करता है। हालांकि, इसमें इक्विटी शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स को शामिल नहीं किया गया है। इसके अलावा Clause 198 लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स लागू करता है। यह 12 महीने से अधिक होल्ड किए गए इक्विटी शेयरों और म्यूचुअल फंड्स पर लागू होगा।STCG और LTCG टैक्स रेट में आएगा बदलाव
बताया जा रहा है कि शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स रेट में पहले 15% टैक्स लगता था, जिसे अब बढ़ाकर 20% कर दिया गया है। वहीं, लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स रेट पहले 10% था, जिसे अब बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया है। इसके साथ ही LTCG की टैक्स-फ्री लिमिट को बढ़ाकर ₹1.25 लाख कर दिया गया है, जो पहले ₹1 लाख थी। इस बदलाव से निवेशकों को अब अधिक टैक्स देना होगा, लेकिन LTCG पर मिलने वाली छूट की सीमा भी बढ़ा दी गई है।

क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल एसेट्स पर लगेगा टैक्स
मालूम हो कि नए बिल में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) यानी क्रिप्टोकरेंसी को टैक्सेबल इनकम के रूप में परिभाषित किया गया है। जबकि पहले इस पर कोई स्पष्टता नहीं थी। लेकिन अब इसे औपचारिक रूप से टैक्स के दायरे में लाया गया है।

चैरिटेबल ट्रस्ट्स के लिए होगा नया नियम
वहीं, चैरिटेबल ट्रस्ट्स पर टैक्सेशन के लिए अब एक नया समर्पित अध्याय (Chapter XVII-B) जोड़ा गया है। इस अध्याय में रजिस्ट्रेशन, टैक्स गणना और एक्रेटेड टैक्स की प्रक्रियाओं को एक साथ कर दिया गया है। बताया गया कि साल 1961 के बाद 20 बार संशोधित हो चुके पुराने प्रावधानों को हटाकर, अब नया और स्पष्ट ढांचा तैयार किया गया है।
 

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