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नीतीश और नायडू ने हमें वक्फ विधेयक का विरोध करने का यकीन दिलाया : रहमानी

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नयी दिल्ली
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की है जिसमें दोनों नेताओं ने यकीन दिलाया कि वे वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करेंगे।
रहमानी ने कुछ शीर्ष मुस्लिम संगठनों के प्रमुखों के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की। नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) और नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की प्रमुख घटक हैं। रहमानी ने यह भी कहा कि केंद्र को यह विधेयक वापस लेना चाहिए और अगर यह विधेयक संसद में पारित करने के लिए पेश किया गया तो इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा तथा कानून के दायरे में रहते हुए प्रत्येक लड़ाई लड़ी जाएगी।


इस संवाददाता सम्मेलन में रहमानी के अतिरिक्त जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी, जमात-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सआदतुल्ला हुसैनी, मरकजी जमीयत अहले हदीस के प्रमुख मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलफी, पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदी और पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास मौजूद थे।
यह पूछे जाने पर कि क्या जद(यू) और तेदेपा के नेताओं से भी मुलाकात हुई है और उनका क्या रुख है, तो रहमानी ने कहा, ‘‘हम लोगों की मुलाकातें अलग-अलग विपक्षी दलों के नेताओं से हुई है। चंद्रबाबू नायडू से भी मुलाकात हुई है और उन्होंने यकीन दिलाया है कि वह इस विधेयक का विरोध करेंगे। कल (बुधवार को) नीतीश कुमार से मुलाकात हुई और उन्होंने भी यकीन दिलाया है कि वह इसका विरोध करेंगे। तेजस्वी यादव (राजद नेता) से मुलाकात हुई और उन्होंने भी यकीन दिलाया है कि वह इसका विरोध करेंगे।’’
पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रमुख के अनुसार, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि वक्फ पर सरकार को हाथ नहीं रखने दिया जाएगा।
उनका कहना था कि कई अन्य ‘‘धर्मनिरपेक्ष पार्टियों’’ और राजग के सहयोगी दलों ने भी विधेयक का विरोध करने का विश्वास दिलाया है।
नीतीश और नायडू से मुलाकात के विवरण के बारे में पूछे जाने पर रहमानी ने कहा, ‘‘हम इस बारे में विस्तार से नहीं बता सकते। हम उनसे मिल चुके हैं। ये कोई हिंदू मुस्लिम का मसला नहीं है, ये न्याय और अन्याय का मसला है। इसलिए हम चाहते हैं कि भाजपा के सहयोगियों सहित सभी धर्मनिरपेक्ष दल न्याय और धर्मनिरपेक्षता के मद्देनजर हमारा समर्थन करें।’’
मुस्लिम संगठनों ने उस दिन संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया जिस दिन वक्फ संशोधन विधेयक से संबंधित संसद की संयुक्त समिति की पहली बैठक हुई।


जमीयत प्रमुख अरशद मदनी ने आरोप लगाया कि मसला सिर्फ वक्फ का नहीं, बल्कि मसला यह है कि हिंदुस्तान के संविधान में अल्पसंख्यकों को जो आजादी दी गई है, मौजूदा सरकार उसके खिलाफ काम कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज की हुकूमत अल्पसंख्यकों और उसके धर्म को महफूज नहीं रहने देना चाहती है...सरकार ने जो नजरिया अपना रखा है हम उसका विरोध करते हैं। हर अल्पसंख्यक वक्फ के मामले पर एकजुट है।’’
मौलाना रहमानी ने कहा कि अगर संसद की संयुक्त समिति मुस्लिम संगठनों को बुलाएगी तो वो उसके समक्ष अपनी बात रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मांग यह है कि इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए।’’
उन्होंने दावा किया कि इस सरकार ने मुस्लिम संगठनों के लिए अपने दरवाजे बंद कर रखे हैं।
कासिम रसूल इलियास ने कहा, ‘‘जो विधेयक लाया गया है, हम उसका पुरजोर विरोध करते हैं। आम मुसलमान की यह धारणा है कि विधेयक वक्फ संपत्तियों पर कब्जे के लिए लाया गया है।’’


 

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