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143 सांसदों के सामूहिक निलंबन के खिलाफ विपक्ष गोलबंद, दिल्ली में मार्च कर जताया विरोध

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द फॉलोअप डेस्क 

143 सासंदों के सामूहिक निलंबन के निलंबन के खिलाफ विपक्षी पार्टिंयों ने गोलबंद होकर दिल्ली में मार्च किया। पिछले दिनों लोकसभा और राज्यसभा से 143 सासंदों को निलंबित कर दिया गया है। निलंबन झेल रहे सासंद संसद की सुरक्षा में हुई चूक मामले को लेकर सदन में गृह मंत्री के बयान की मांग कर रहे थे। सभी सासंदों का निलंबन 48 घंटे के भीतर हुआ है। विरोध मार्च पुराने संसद भवन से लेकर विजय चौक तक किया गया। इस दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि ये सीधे तौर पर लोकतंत्र की हत्या है। सांसदों के बोलने से रोका जाना देश के लिए शर्मनाक है। 

क्या है सांसदों की मांग 
विरोध मार्च में शरीक खड़गे ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह देश की सुरक्षा को लेकर मीडिया में बड़ी-बड़ी करते हुए दिखाई देते हैं। उनको संसद में आकर इस विषय पर कुछ बोलना चाहिये। कहा कि निलंबित सांसद की इतनी ही मांग है। लेकिन सत्ता पक्ष की ओर जवाब देने के बजाये उनके बोलने पर ही पाबंदी लगा दी गयी। कहा कि ये साफ तौर तानाशाही की शुरुआत है। इसका मुखर विरोध नहीं हुआ, तो देश का लोकतांत्रिक सिस्टम खतरे में होगा। कहा कि हमारे बार-बार के निवेदन के बावजूद लोकसभा के स्पीकर और राज्यसभा के सभापति ने हमें बोलने की अनुमित नहीं दी। ये निराशाजनक है। 


निलंबित किये गये सासंद 

गौरतलब है कि संसद में हंगामा करने के आरोप में विभिन्न विपक्षी दलों के सासंदों को संसद की पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। लोकसभा से निलंबित किये गये सांसदों में कांग्रेस पार्टी के वीके श्रीकंदन, बेनी बेहनन, मोहम्मद जावेद, मणिकम टैगोर, टी एन प्रतापन, हिबी इडेन, जोतिमणि, रम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस, द्रमुक की कनिमोई, प्रतिबन, माकपा के एस वेंकटेशन, पीआर नटराजन के नाम हैं। वहीं, भाकपा के के सुब्बानारायण को भी सस्पेंड कर दिया गया है। हालांकि निलंबन के बाद सासंदों ने सदन के बाहर आकर अपनी मांग दोहरायी है।