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SC  : कोरोना काल में अनाथ हुआ था बच्चा, कस्टडी के लिए चली कानूनी लड़ाई में मौसी की हार दादा-दादी जीते 

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डेस्क :
कोरोना की दूसरी लहर में अनाथ हुए एक 6 साल के बच्चे की कस्टडी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। जहाँ कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी दादा- दादी को सौंपते हुए कहा कि मौसी की तुलना में दादा-दादी बच्चे की बेहतर देखभाल करेंगे। कोर्ट ने आगे कहा कि दादा-दादी बच्चे से भावनात्मक रूप से अधिक जुड़े हुए हैं।  पिछले साल कोविड के चलते बच्चे के माता-पिता दोनों की मौत हो गई थी। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि हमारे समाज में दादा-दादी हमेशा अपने पोते-पोतियों की बेहतर देखभाल करते हैं।

माँ की मौत के बाद मौसी के साथ रह रहा था बच्चा 
पिछले साल अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद से बच्चा दादा- दादी और मौसी के बीच कस्टडी की लड़ाई के बीच में फंसा था। हालांकि,हाईकोर्ट के फैसले के बाद बच्चा मौसी के साथ रह रहा था। हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए बच्चे की कस्टडी मौसी को सौपी थी। हाईकोर्ट ने मौसी को अविवाहित होने के साथ नौकरीपेशा होने के कारण बेहतर परवरिश करने में सक्षम बताया था। बच्चे के पिता की मृत्यु 13 मई को और उसकी मां की 12 जून को मृत्यु हो गई। माँ की मृत्यु के बाद परिजन बच्चे को अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अहमदाबाद में उसके दादा-दादी के घर से ननिहाल ले कर गए थे। फिर बच्चे को वापस नहीं दादा-दादी के पास पहुंचाने से मना कर दिया। ऐसे में दादा -दादी को कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा।

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा
बच्चे की कस्टडी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने कई पहलुओं पर गौर नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि बच्चे का दादा-दादी से भावनात्मक लगाव होने के साथ अहमदाबाद में बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा उपलब्ध है।जो बच्चे के परवरिश में मायने रखती है।