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भारत–कनाडा तनाव कहीं थाली से गायब न कर दे दाल, जानें क्यों?

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द फॉलोअप डेस्कः 
भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अगर यह तनाव लंबा खिचाया तो इसका असर आम नागरिकों पर पड़ेगा। दरअसल भारत मसूर आयात के मामले में कनाडा पर काफी निर्भर है। अगर विवाद लंबा खिंचा तो असर पड़ सकता है। कनाडा में पैदा होने वाली आधी से ज्यादा मसूर भारत को निर्यात की जाती है। ऐसे में कनाडा के लिए भी भारत को मसूर का निर्यात रोकना मुश्किल काम होगा क्‍योंकि इससे उसको खुद को भी भारी नुकसान होगा। कनाडा से मसूर आयात प्रभावित होने पर भारत के पास ऑस्ट्रेलिया व अमेरिका का विकल्प है। भारत ने अमेरिका से मसूर आयात के लिए आयात शुल्क में राहत भी दे दी है.


मसूर दाल की हो सकती है दिक्कत
दरअसल कनाडा-भारत के बीच साल 2023 में कारोबार 8 बिलियन डॉलर यानी 67 हजार करोड़ रुपये रहा था. भारत और कनाडा के बीच अगर तनातनी अगर लंबे समय तक चलती है तो इसका सबसे ज्‍यादा असर मसूर दाल और म्‍यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) उर्वरक की आपूर्ति और कीमतों पर हो सकता है। ऐसा इसलिए है, क्‍योंकि भारत इन दोनों ही चीजों का बड़ी मात्रा में आयात कनाडा से करता है। मसूर दाल अरहर के बाद भारत में सबसे ज्‍यादा खाई जाने वाली दाल है। इसी तरह म्‍यूरेट ऑफ पोटाश का भारत में फसलों में यूरिया और डीएपी के बाद सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल होता है। अगर कनाडा के साथ तनाव लंबा खिंचता है तो इन दोनों की सप्‍लाई और कीमतों पर असर दिख सकता है। 

भारत का कुल मसूर आयात 2020-21 में 11.16 लाख टन, 2021-22 में 6.67 लाख टन और 2022-23 में 8.58 लाख टन रहा। इसमें कनाडा से भारत ने 2020-21 में 9.09 लाख टन, 2021-22 में 5.23 लाख टन और 2022-23 में 4.85 लाख टन मसूर का आयात किया। भारत ने 2020-21 में कुल 50.94 लाख टन म्‍यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) का आयात किया. इसी तरह 2021-22 में 29.06 लाख टन और 2022-23 में 23.59 लाख टन पोटाश का कुल आयात किया. इसमें कनाडा की हिस्सेदारी 2020-21 में 16.12 लाख टन, 2021-22 में 6.15 लाख टन और 2022-23 में 11.43 लाख टन थी। कनाडा के अलावा भारत इज़राइल, जॉर्डन, बेलारूस, तुर्कमेनिस्तान और रूस से भी एमओपी का आयात करता है। 

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