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5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस, जानें इसका इतिहास और महत्व

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द फॉलोअप डेस्कः 
देश भर में आज, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। शिक्षक दिवस डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में मनाया जाता है, जिनका जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था।भारत में शिक्षक दिवस डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे। वे एक महान दार्शनिक और विद्वान थे। उन्हें 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और 1963 में उन्हें ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट की मानद सदस्यता प्रदान की गई थी। डॉ. राधाकृष्णन ने कलकत्ता विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। वह एक विपुल लेखक भी थे और उन्होंने अमेरिका और यूरोप में अपने व्याख्यानों के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा दिया।


पहली बार कब मनाया गया था शिक्षक दिवस?
राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस कैसे बना, इसकी कहानी उनकी विनम्रता और शिक्षण पेशे के प्रति सम्मान का प्रमाण है। जब 1962 में जब डॉ. राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने, तो कुछ छात्र उनसे मिलने आए और उनसे अनुरोध किया कि उनका जन्मदिन 5 सितंबर को मनाया जाए। हालांकि, उन्होंने सुझाव दिया कि छात्र इस दिन को शिक्षकों को समर्पित करें। इस तरह, 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा । 
शिक्षकों को दिया जाता है राष्ट्रपति पुरस्कार
वहीं शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए के लिए हर साल देश के राष्ट्रपति की ओर से शिक्षकों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया जाता है। इस साल उल्लेखनीय कार्य के लिए देश भर के कुल 50 शिक्षकों को राष्ट्रपति की ओर से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन उत्कृष्ट शिक्षकों के उल्लेखनीय प्रयासों को मान्यता देता है जिन्होंने न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया है बल्कि अपने छात्रों के जीवन पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। 


आयोजित किए जाते हैं कार्यक्रम
शिक्षक दिवस के अवस पर देश के सभी स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षकों के सम्मान में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां तक की स्कूल स्तर पर भी शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है।