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चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा-पहले भी दी गई है नीति संबंधी वादों की इजाजत, ये गलत नहीं

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द फॉलोअप टीम, पटना: 
भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण की वैक्सीन मुफ्त दिए जाने के मामले में बवाल मच गया है। इस मामले में वादा करने के विरोध में कुछ विपक्षी नेताओं द्वारा निर्वाचन आयोग से इस पर कार्रवाई की मांग की तो, निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि आयोग पहले भी कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों को नीति संबंधी वादे करने की अनुमति दे चुका है।

नीति संबंधी वादे करने की है अनुमति 
अधिकारियों ने बिहार में बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र के मुद्दे पर सीधे तौर पर जवाब तो नहीं दिया, लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की ‘न्याय योजना’ के विरोध में दर्ज कराई गई शिकायत का हवाला दिया। उस समय आयोग ने इस योजना के उल्लेख को आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना था। आयोग ने यह भी कहा था कि योजना जनप्रतिनिधि कानून 1951 में उल्लिखित भ्रष्टाचार के दायरे में नहीं आती है। अधिकारियों ने भ्रष्ट गतिविधियों से निपटने के लिए बने धारा 123 के रीप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट के प्रावधान का जिक्र किया। इसमें कहा गया है, 'जन नीति का ऐलान, पब्लिकेशन के वादे या बिना चुनाव में दखल देने की मंशा के कानूनी अधिकार का इस्तेमाल करने को दखलअंदाजी नहीं माना जा सकता है।'

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बीजेपी के खिलाफ शिकायत दर्ज
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को बीजेपी का घोषणा पत्र जारी किया जिसमें कोविड-19 का टीका मुफ्त में उपलब्ध कराने का वादा किया गया है। इस पर ऐक्टिविस्ट साकेत गोखले ने गुरुवार को चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में गोखले ने कहा कि बीजेपी का वैक्सीन उपलब्ध कराने का दावा चुनाव के दौरान केंद्र सरकार की शक्तियों का दुरुपयोग है, क्योंकि ये किसी बीजेपी नेता नहीं बल्कि देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का किया गया ऐलान है।