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बिहार के गया में फिर सामने आया एक ‘दशरथ मांझी’ 20 साल में खोद डाली 5 किलोमीटर लंबी नहर

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द फॉलोअप टीम, गया
पत्नी के प्रेम में पहाड़ का सीना काटकर रास्ता बना देने वाले दशरथ मांझी को तो आप जानते होंगे। वही शख्स जिसे बाद में द माउंटेनमैन के नाम से जाना गया। वही दशरथ मांझी जिन पर फिल्में भी बनीं, सड़कें बनीं और उनसे लोग इंस्पायर्ड हुए। संयोग से उसी दशरथ मांझी के गृह जिले गया में ही एक और दशरथ मांझी सामने आए हैं। यहां के इमामगंज व बांकेबाजार प्रखंड की सीमा पर जंगल में बसे कोठीलवा गांव के लोगों की गरीबी दूर करने के लिए दशरथ मांझी की तरह लौंगी भुइयां ने 5 किलोमीटर लंबी नहर खोद डाली। ‘माउंनटेन मैन’ दशरथ मांझी की तरह ही इन्हें ऐसा करने में 20 साल का लंबा वक्त लगा। 

किसानों के खेतों तक पहुंचा पानी
नहर पांच किलोमीटर लंबी, चार फीट चौड़ी व तीन फीट गहरी है। लौंगी भुइयां की इस मेहनत के कारण अब गांव के किसानों के खेतों तक पानी पहुंच गया है। लौंगी भुइयां को गांव के युवाओं को पत्नी व बच्चों को घर में छोड़कर परदेस कमाने जाना सहन नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि 20 साल पहले वर्ष 2001 में उन्होंने पलायन से दुखी होकर पईन खोदने का फैसला किया। उन्होंने देखा कि जहां मवेशी पानी पीने जाते हैं, वहां पर बहुत बड़ा जल का स्रोत है। यहां से पईन की खुदाई करके खेत तक पानी ले जाया जाया सकता है।

अगस्त 2001 में शुरू की खुदाई 
लौंगी भुइयां को ये ख्याल आया और फिर उसके अगले दिन अगस्त 2001 से अकेले ही कुदाल उठाकर पईन की खुदाई बंगेठा सगवाही जंगल से शुरू कर दी। लौंगी बताते हैं कि हाथ में कुदाल,खंती व टांगी लेकर जब पईन की खुदाई के लिए घर से निकलते थे तो गांव के लोग उनका मजाक उड़ाते थे। लोग पागल कहते थे लेकिन इसकी परवाह किए बगैर उन्होंने दिन रात मेहनत की और नतीजा सबके सामने है। 

लौंगी आहर रखा गया नाम
जलछाजन विभाग के अधिकारियों ने पईन से आने वाले पानी को जमा करने के लिए एक बड़ा सा मेड़ बना दिया है। इसका नाम लौंगी आहर रखा गया है। मुखिया विशुनपत सिंह भोक्ता कहते हैं कि लौंगी और काम के लिए सरकारी मदद मांग कर रहे हैं। हम इसकी व्यवस्था करने पर विचार कर रहे हैं। लौंगी के मुताबिक अगर सरकारी मदद मिलती है तो आने वाले दिनों में गांव के किसानों और भी फायदा मिल सकता है।