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जिस नर्स के सम्मान में हेलिकॉप्टर से बरसाये थे फूल, उसे करना पड़ रहा है फूड डिलीवरी एजेंट का काम

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द फॉलोअप टीम, भुवनेश्वर: 

कोरोना काल में सबसे ज्यादा चर्चा फ्रंटलाइन वर्कर्स की रही। इनमें डॉक्टर्स, नर्स, नर्सिंग स्टाफ सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी आते हैं। सरकारों ने इनको कोरोना वॉरियर्स भी कहा। कभी इनके लिए हेलिकॉप्टर से फूल बरसाया गया तो कभी ताली और थाली बजवाई गई। कहा गया कि ये फ्रंटलाइन वर्कर्स को सम्मान देने का हमारा तरीका है, लेकिन क्या इवेंटबाजी से धरातल पर बदलाव भी आता है, जाहिर है कि नहीं। ओड़िशा की एक नर्स से जुड़ा मामला इसकी तस्दीक भी करता है। 

नर्स कर रही है फूड डिलीवरी का काम
मिली जानकारी के मुताबिक ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर में इन दिनों एक महिला बतौर फूड डिलीवरी एजेंट काम करती नजर आ रही है। महिला का नाम संजुक्ता नंदा है। 39 वर्षीय संजुक्ता नंदा कभी नर्स हुआ करती थीं। कोरोना काल में जान में जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा भी की। पति भी स्वास्थ्यकर्मी थे। पर इन दिनों पति-पत्नी दोनों को फूड डिलीवरी एजेंट के रूप में काम करना पड़ रहा है। सवाल है कि आखिरकार ऐसी नौबत आई ही क्यों। 

कोरोना काल में गई संजुक्ता की नौकरी
बकौल नर्स संजुक्ता नंदा, मैं एक स्थानीय अस्पताल में नर्स थी। मेरे पति भी स्वास्थ्यकर्मी के रूप में काम करते थे। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान मैंने मरीजों की सेवा की। बच्चों से दूर रही। जान जोखिम में डालकर काम किया लेकिन कोविड में आर्थिक तंगी का हवाला देकर अस्पताल ने नौकरी से निकाल दिया। पति की भी नौकरी चली गई। आय के तमाम स्त्रोत बंद हो गए। बचत खत्म होती जा रही थी। ऐसे में हमें फूड डिलीवरी एजेंट का काम करना पड़ा। 

झारखंड में भी स्वास्थकर्मियों का बुरा हाल
गौरतलब है कि झारखंड में कुछ ऐसा ही हाल है। झारखंड में अधिकांश स्वास्थ्य कर्मी अनुबंध पर बहाल किए गए हैं। सीधे शब्दों में समझिये कि कॉन्ट्रैक्ट पर हैं। उनकी नौकरी कभी भी जा सकती है। हाल ही में राज्य की एएनएम और एनएचएम दीदियों ने नेपाल हाउस के सामने प्रदर्शन किया कि उनको स्थायी किया जाए और वेतनमान में भी वृद्धि की जाये।