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क्रिस होनह्यू बने अफगानिस्तान छोड़ने वाले आखिरी अमेरिकी सैनिक, जानिए, कब-कब क्या हुआ

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द फॉलोअप टीम, डेस्क: 

20 साल बात संयुक्त राज्य अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी हो गई। अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपने ऑफिशियल ट्विटर से एक ट्वीट किया। इसमें एक सैनिक सैन्य विमान पर सवार होता दिख रहा है। रक्षा विभाग ने इस तस्वीर को साझा कर लिखा कि मेजर जनरल क्रिस डोनह्यू अफगानिस्तान छोड़ने वाला आखिरी अमेरिकी सैनिक है। क्रिस 30 अगस्त को विशेष विमान C-17 में सवार हो गए जो काबुल में अमेरिकी मिशन के अंत का प्रतीक है। 

20 साल चला अमेरिका-तालिबान का संघर्ष
गौरतलब है कि 11 सिंतबर साल 2001 को अलकायदा द्वारा अमेरिका के पेंटागन और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आत्मघाती विमान हमले के बाद तात्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने तालिबान के खिलाफ संघर्ष का एलान किया था। दरअसल, हमले के बाद तालिबान ने ही अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को शरण दी थी। तालिबान साल 1995 से अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज था जिसे 2002 तक अमेरिका ने वहां की सत्ता से हटाकर अफगानिस्तान की पहाड़ी इलाकों में धकेल दिया था। हालांकि, तालिबान कभी खत्म नहीं हुआ। अमेरिकी सेना और तालिबान के बीच लंबा संघर्ष चला लेकिन अमेरिका तालिबान को हरा पाने में कामयाब नहीं हुआ। इस दरम्यान अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ संघर्ष में 3 हजार अरब डॉलर से भी ज्यादा की रकम खर्च की और 2400 से अधिक सैनिकों को गंवाया। हाल ही में 26 अगस्त को काबुल एय़रपोर्ट में धमाके में भी 13 अमेरिकी कमांडोज की जान गई। 

ट्रंप ने अमेरिका की वापसी की कवायद की
2018 में आखिरकार तात्कालीन राष्ट्रपति डोलान्ड ट्रंप ने प्रतिबद्धता जताई कि वो अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी कराएंगे। तालिबान और अमेरिका के वार्ता की कवायद शुरू हो गई। आखिरकार साल 2020 में दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच संधि पर हस्ताक्षर हुआ। अमेरिका ने अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी पर सहमति जताई वहीं तालिबान ने वादा किया कि वो मानवाधिकारों से युक्त शासन की स्थापना करेगा। अमेरिकी सैनिकों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले की बरसी यानी 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी करवानी थी लेकिन जून में अचानक नए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि वो अगस्त में ही सारे सैनिकों को को वापस बुला लेगा। इस घोषणा के साथ ही पांच अगस्त को 18 हजार सैनिकों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया। अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरू होते ही तालिबानी आतंकियों ने अफगानिस्तान के जिलों पर कब्जा करना शुरू कर दिया। आखिरकार 15 अगस्त को तालिबानी लड़ाके राजधानी काबुल में घुस आये। 

तालिबान ने दिया था 31 अगस्त का अल्टीमेटम
काबुल में घुसने के बाद तालिबान ने अमेरिका सहित नाटो में शामिल अलग-अलग देशों के सैनिकों और आम नागरिकों को अल्टीमेटम दिया कि वे 31 अगस्त तक अफगानिस्तान छोड़ दें। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, तुर्की, भारत सहित कई देशों ने अपने-अपने नागरिकों को वहां से निकाल लिया है। यही नहीं, इन देशों ने कई अफगानी नागरिकों को भी वहां से निकाल लिया है। उन अफगानी नागरिकों को इन देशों ने इमरजेंसी वीजा पर यहां आने दिया है। अब अमेरिका वहां से निकल चुका है। हालांकि जिस तरीके से अफगानी नागरिकों को उनके भाग्य के सहारे छोड़कर वो निकला है उसकी खासी आलोचना की जा रही है। अफगानिस्तान से निकलने के बाद अमेरिका ने बयान भी जारी किया। 

अफगानिस्तान में नहीं होगा अमेरिकी दूतावास
अमेरिकी में बाइडेन प्रशासन के सचिव एंटनी ब्लिकेंन ने कहा कि 30 अगस्त 2021 से काबुल में अमेरिका की राजनयिक उपस्थिति नहीं होगी। हम कतर की राजधानी दोहा से अपने तमाम राजनयि कार्य करेंगे। अफगानिस्तान के साथ किसी भी प्रकार का कूटनीति रिश्ता और प्रबंधन के लिए दोहा में बनाए गए केंद्र का इस्तेमाल किया जायेगा। अमेरिकी सैन्य उड़ानें समाप्त हो गई हैं और हमारे सैनिक अफगानिस्तान से लौट चुके हैं। ब्लिकेंन ने कहा कि अमेरिका सरकार के माध्यम से नहीं बल्कि स्वतंत्र संगठनों जैसे की संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न एजेंसियों और गैर सरकारी संगठनों के माध्यमसे अफगानी नागरिकों की मानवीय सहायता करता रहेगा। ब्लिकेंन ने कहा कि हमारी यही उम्मीद है कि तालिबान या फिर किसी अन्य के द्वारा हमारे प्रयासों को बाधित नहीं किया जायेगा। 

अमेरिका ने 1 लाख 23 हजार नागरिकों को निकाला
इस बीच अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिका ने तत्काल 6 हजार अमेरिकियों को नुकसान के रास्ते से हटा लिया है। अफगानिस्तान से अमेरिका ने 1 लाख 23 हजार से भी ज्यादा लोगों को निकाला जिसमें से अधिकांश अफगानी मित्र और सहयोगी देशों के नागरिक थे। इस बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने काबुल के हामिद करजई अंतर्राष्ट्रीय एय़रपोर्ट के पास 26 अगस्त को हुए आत्मघाती हमले की निंदा की जिसमें 13 अमेरिकी कमांडोज सहित 169 लोगों की जान चली गई थी। मिली जानकारी के मुताबिक खुरासान प्रांत में मौजूद इस्लामिट स्टेट ने ये हमला किया था।