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बासुकीनाथ मंदिर में अर्पित फूल-बेलपत्र से बन रही अगरबत्ती, 6 गांव की महिलाओं को मिला रोजगार

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मोहित कुमार, दुमका: 

दुमका के बाबा बासुकीनाथ धाम में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाया गया फूल-बेलपत्र जाया नहीं होता, बल्कि इससे बनती है सुगंधित अगरबत्तियां। राज्य सरकार और जिला प्रशासन की पहल से स्थानीय महिलाओं को रोजगार का अच्छा साधन मिला है। द फॉलोअप संवाददाता मोहित कुमार ने फूल-बेलपत्र सहित अन्य पूजन सामग्रियों से अगरबत्ती बनाने के रोजगार में लगी महिलाओं से बात की। उनसे समझना चाहा कि आखिर ये काम कैसे होता है। 

कुल 6 गांवों की महिलाओं को मिला रोजगार
जरमुंडी प्रखंड में जेएसएलपीएस के बीपीए वरूण कुमार शर्मा ने बताया कि उपायुक्त की पहल पर ये काम हुआ। बासुकीनाथ मंदिर में श्रद्धालु बड़ी संख्या में फूल और बेलपत्र चढ़ाते हैं। इससे अगरबत्ती बनाने से दो फायदा होता है। पहला तो लोगों को रोजगार मिल जाता है। विशेष रूप से महिलाओं को स्वरोजगार का अच्छा साधन मिलता है, वहीं फूल और बेलपत्र की रिसाक्लिंग हो जाती है। वरुण बताते हैं कि यहां जिला प्रशासन द्वारा बासुकी भवन बनाया गया है। यहीं पर अगरबत्तियों की पैकेटिंग और मार्केटिंग होती है। उन्होंने बताया कि 6 गावों की समूह की महिलाओं को रोजगार मिला है। बाकी महिलाओं में भी इसके प्रति रूचि जगी है और वे जुड़ना चाहती हैं। 

फूल और बेलपत्र से कैसे बनाई जाती है अगरबत्ती
अगरबत्ती बनाने के काम में जुटी एक महिला ने प्रोसेस के बारे में भी बताया। कहा कि हमलोग 65 रुपये प्रति किलो की दर से मंदिर प्रबंधन से फूल और बेलपत्र खरीद लेते हैं। बतौर कच्चा माल उस सामग्री को मशीन में डाला जाता है। मशीन से जो पाउडर निकलता है उसे सेंट के साथ गूंथा जाता है। फिर मशीन से अगरबत्तियां बनाई जाती है। इन अगरबत्तियों को धूप में सुखाकर उनकी पैकेटिंग की जाती है और आसपास के बाजारों में बेचा जाता है। 

जेएसएलपीएस के जरिए महिलाएं बनीं स्वाबलंबी
गौरतलब है कि झारखंड में जेएसएलपीएस के जरिए ग्रामीण इलाके की महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है। कहीं मास्क तो कहीं सेनिटाइजर बनाया जा रहा है। कई इलाकों में महिलाएं सीमित संसाधनों में अगरबत्तियां बना रही हैं। महिलाओं को इसके लिए ब्याजमुक्त लोन भी उपलब्ध करवाया जाता है, ताकि रोजगार का अवसर खुले।