द फॉलोअप टीम, रांची:
आजादी के आंदोलन के दौरान स्वाधीनता सेनानियों ने सपना देखा था कि स्वाधीन भारत में जातिवाद को जड़ से समाप्त कर दिया जाएगा। संविधान सभा में 11 दिसंबर, 1946 को बतौर सभापति अपने पहले भाषण में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि संविधान सभा ऐसा संविधान बनाएगी, जो किसी भी नागरिक से उसकी जाति, मजहब या प्रांत के नाम पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।
स्वाधीन भारत के नागरिकों में होनी चाहिए समानता
दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि संविधान के सामने स्वाधीन भारत के सभी नागरिक बराबर होंगे, पर आज जिस स्थिति में भारतीय राजनीति पहुंच गई है, उसे देख कहा जा सकता है कि अब जातिवाद की राजनीति चरम पर पहुंच गई है। सवाल यह है कि आखिर भारतीय संविधान सभा ने जातिवाद को खत्म करने का विचार कहां से लिया था? इसका जवाब गांधी जी के एक लेख में मिलता है। एक मई, 1930 को ‘यंग इंडिया’ में गांधी जी ने लिखा था, ‘मेरे अपनों के, हमारे, सबके स्वराज में जाति और धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा। स्वराज सबके लिए.. कल्याण के लिए होगा’।
लोहिया के अनुनायियों ने जातिवाद को बढ़ावा दिया
लोहिया की सोच भले ही अच्छी रही, लेकिन उनके अनुयायियों ने जातियों को खत्म करने के बजाय जातियों की राजनीति शुरू कर दी। उनके अनुयायियों ने जाति खत्म करने की दिशा में कोई काम नहीं किया। दरअसल जैसे-जैसे आजादी अतीत का विषय बनती गई, वैसे-वैसे राजनीति जाति को खत्म करने के बजाय जातिवाद को बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ती गई। इस दौड़ में अब झारखंड की आजसू पार्टी भी अपने को सबसे अधिक आगे देखना चाहती है।
आबादी के अनुसार आरक्षण सुनिश्चित हो
आजसू पार्टी अखिल झारखण्ड पिछड़ा वर्ग महासभा का राज्यस्तरीय सम्मेलन 1 दिसंबर को रांची में आयोजित करने जा रहा है। सम्मेलन को लेकर पिछड़ा वर्ग महासभा के सभी प्रभारियों को आवश्यक दिशानिर्देश दिया जा चुका है। राज्यस्तरीय सम्मेलन में कई प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। जिसमें मुख्य रुप से झारखण्ड के पिछड़ों को आबादी अनुसार आरक्षण सुनिश्चित कराना है। झारखण्ड में पिछड़ों को राष्ट्रीय मानक के आधार पर आरक्षण मिलना संवैधानिक अधिकार से जुड़ा मामला है। आजसू पार्टी का यह मानना है कि आरक्षण सिर्फ आर्थिक नहीं प्रतिनिधित्व और भागीदारी का भी सवाल है। पिछड़ों की बहुत बड़ी आबादी राज्य में है जबकि उनकी सामाजिक, शैक्षणिक तथा आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इस वर्ग का सरकारी एवं अर्ध सरकारी सेवा एवं पदों में प्रतिनिधित्व भी बहुत कम हैI
सीएम को पहले ही भेजा जा चुका है पत्र
आजसू पार्टी ने सामाजिक न्याय को लेकर पहले भी कई मंचों पर आवाज़ मुखर करने के साथ-साथ तर्क और तथ्य के साथ बहस को आगे बढ़ाया है। इसी क्रम में 8 अगस्त-निर्मल महतो शहादत दिवस से सात दिनों तक राज्य के सभी गांवों में आजसू पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री के नाम प्रेषित स्मरण पत्र लेकर सामाजिक न्याय मार्च निकाला था तथा मार्च के जरिए इकट्ठा किये गए हस्ताक्षर युक्त स्मरण पत्र लेकर 6, 7 एवं 8 सितंबर को आठ-आठ जिला के नेता, कार्यकर्ता और समर्थक स्मरण पत्र लेकर राँची कूच किया। इस दैरान शांतिपूर्ण ढंग से पिछड़ों की मांग को लेकर मोराबादी स्थित बापू वाटिका से मुख्यमंत्री सचिवालय निकले कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज भी की गयी। आजसू पार्टी जब तक इस मुद्दे को मुकाम तक नहीं पहुंचाती तब तक इस मुद्दे पर हमेशा मुखर रहेगी। सम्मेलन में पार्टी के भावी कार्यक्रमों को लेकर भी चर्चा की जाएगी।
पूरी पार्टी दिखेगी एक साथ
सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि झारखण्ड के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो उपस्थित रहेंगे। साथ ही गिरिडीह सांसद एवं आजसू पार्टी के वरीय उपाध्यक्ष चंद्रप्रकाश चौधरी, प्रधान महासचिव रामचंद्र सहिस, केंद्रीय महासचिव डॉ. लंबोदर महतो, केंद्रीय उपाध्यक्ष उमाकांत रजक एवं हसन अंसारी, केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत सहित अन्य पदाधिकारी मुख्य रुप से मौजूद रहेंगे। बैठक में अखिल झारखण्ड पिछड़ा वर्ग महासभा के सभी प्रखंडस्तरीय, जिलास्तरीय एवं राज्यस्तरीय पदाधिकारी मौजदू रहेंगे। सम्मेलन को लेकर पिछड़ा वर्ग महासभा के प्रदेश संयोजक रोशनलाल चौधरी, कुशवाहा शिवपूजन मेहता, विकास राणा, महेश्वर साहू, संतोष महतो, सुबोध प्रसाद, गुड्डू यादव, प्रोफेसर रविशंकर प्रसाद मौर्य, विजय साहू सहित अन्य पदाधिकारियों ने तैयारियां तेज कर दी है। र्य, विजय साहू सहित अन्य पदाधिकारियों ने तैयारियां तेज कर दी है।