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संपादकीय डेस्‍क से: आत्ममुग्धता के शोर में ख़ामोशी से रोशनी फैलाता एक शख़्स 

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शहरोज़ क़मर, रांची:

सेल्फी के आत्ममुग्ध दौर में भी कुछ माइल स्टोन ऐसे हैं, जो ईमानदारी से अपने फ़र्ज़ का निर्वहन करने वालों का पता देते हैं। बरबस रूसी कहानी याद आती है, जिसमें एक बुजुर्ग एक पौधे में रोज़ाना पानी देता है। लोगों के आश्चर्य पर कहता है, पेड़ आनेवाली पीढ़ी के लिए बहुत उपयोगी होंगे। दरअसल यह छोटी सी कहानी संवेदना की विनम्रता और मनुष्यता की कालजयीता को बयां करती है। मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली का शेर है: 


हम लबों से कह न पाए उनसे हाल-ए-दिल कभी
और वो समझे नहीं ये ख़ामोशी क्या चीज़ है।


अगर आपके विचार सकारात्मक हैं तो खामोशी का अर्थ-व्यवहार धरातल पर सार्थकता को जन्‍म देता है अन्यथा आपके अंदर नकारात्मक विचार चल रहे हैं तो ये चुप्पी विनाश का सबब भी बनती है। हम सेल्फी और फोटो शूट वाले चर्चित राजनेता की बात नहीं करेंगे, जो वाचाल भी है, और उसकी चुप्पी अक्सर डरावना भाव उत्पन्न करती है। ज़िक्र उस शख़्सियत का है, जिसे भले विरासत में सियासत मिली, लेकिन ख़ामोशी से वो काम करता गया। नाम की तो उन्हें चिंता होती है, जो काम नहीं करते। 

 

 

जिसके दम से ज़िंदा है हॉकी का जलवा 
ओलिंपिक टोक्यो  में हॉकी के धाकड़ खिलाडियों ने जब बरसों बाद कमाल के परचम फहराए तो पता यूं चला कि इस कामयाबी के पीछे उसी शख्स का हाथ है, जिनकी पहचान ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में है। जब वर्ष 2021-22 के बजट में खेल के लिए 2596.14 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने आवंटित किये (जो पिछले वर्ष से 230.78 करोड़ कम) और खिलाड़ियों के लिए प्रोत्साहन का बजट 70 करोड़ रुपए से घटाकर 53 करोड़ रुपए कर दिया गया। ओडिशा सरकार 2018 से ही हॉकी और उसके खिलाड़ियों को नई जिंदगी दे रही थी। 2023 तक के लिए उसने देश की हॉकी टीम को गोद ले लिया है। सभी जूनियर, सीनियर, पुरुष और महिला टीम के लिए करीब 150 करोड़ रुपए का उसका बजट है। इसके अलावा ओडिशा सरकार वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग, रिहैब फैसिलिटी, प्रैक्टिस पिच और टूर्नामेंट्स के जरिए भी हॉकी को नया जीवन दे रही है।

 

हर घर शुद्ध पेयजल उपलब्ध करानेवाला देश का पहला शहर पुरी

इससे पहले ओडिशा सरकार ने नवीन प्रयोग के तहत धार्मिक नगरी जगन्नाथपुरी को सभी नागरिकों को शुद्ध आरओ का जल देने वाला भारत का पहला शहर बना दिया। पुरी की ढाई लाख आबादी और साल भर में वहां पहुंचने वाले दो करोड़ पर्यटकों को यह शुद्ध पानी 24 घंटे मिलता रहेगा। इससे हर साल करीब तीन करोड़ प्लास्टिक बोतलें बचेंगी, जिनमें भरा हुआ पानी साल भर में यहां खर्च होता है। इससे करीब 400 टन प्लास्टिक कचरा बचेगा। सुजल योजना का समूचे राज्य में विस्तार किया जा रहा है, ताकि हर नागरिक को पीने का साफ पानी मयस्सर हो सके। नवीन अलग कुछ नहीं कर रहे हैं, सिर्फ कल्याणकारी राज्य के मुखिया होने का दायित्व निभा रहे हैं। बा़की लोग करोड़ों रुपए अपने नाम के इश्तहार में स्वाहा कर देते हैं। यह आदमी सरकारी फंड का सार्थक सदुपयोग करना जानता है। 

 

विदेश के यूनिवर्सिटियों में पढ़ाई जाती हैं किताबें 
देश के धुर समाजवादी लीडर और स्वतंत्रता सेनानी बीजू पटनायक के घर 16 अक्टूबर 1946 को कटक में नवीन पटनायक का जन्म हुआ था। पिता के निधन के बाद 1998 में उन्होंने पिता के नाम पर बीजू जनता दल का गठन किया। पहली बार मार्च 2000 में ओडिशा के मुख्यमंत्री बने। किताबें शुरुआत से लिखते रहे हैं। कई किताबें विदेश के विश्व्विद्वालयों में पढ़ाई जाती हैं। अब भी वे कभी-कभी लिखते हैं। पेंटिंग करने का भी शौक़ है। उनका कहना है कि पुस्तकें हमारे ज्ञान को व्यापक करने में मददगार होती हैं।  हमारी कल्पनाओं को पंख देती हैं। लोगों और संस्कृतियों को समझने में हमारी सहायता करती हैं।