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झूठ के बल बांटी जा रही नफरत की इस तरह खुली पोल, अमूल के 17,000 कर्मचारी में आनंद सेठ कोई नहीं

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द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
ट्विटर, फेसबुक और वॉट्सऐप पर इन दिनों एक मैसेज खूब वायरल हो रहा है, जो डेयरी कंपनी अमूल से जुड़ा हुआ है। जिसमें लिखा गया है, ''एक कदम हिन्दू एकता की ओर... अमूल दूध के मालिक आनंद सेठ ने अपनी फैक्ट्री से 1 लाख 38 हज़ार मुस्लिम लोगों को निकाला। कहा- देश में थूक वाला जिहाद देख कर हम लोगों को गंदा दूध दही-घी नहीं पिला, खिला सकते।  सीईओ आनंद सेठ ने कहा- गाय हमें दूध देती है उसी से हमारा व्यापार चलता है। और कुछ दूसरे समुदाय के लोग उसी को खाते है ये हमारे लिए शर्म की बात है।  हम ऐसे हत्यारों को अपने कंपनी मे नहीं रख सकते।  अमूल दूध को दिल से आभार ऐसा कदम उठाने के लिए...।"  यह मैसेज सोशल मीडिया पर आग की तरह लोग फैला रहे हैं, बिना इसकी सच्चाई जाने हुए। बीबीसी ने जब फैक्‍ट चेक किया, तो झूठ के बल बांटी जा रही नफरत की पोल खुल गई।


क्या है वायरल मैसेज की सच्चाई
कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के किसी तरह के फैसले की जानकारी कंपनी के ट्विटर अकाउंट और ऑफिशियल वेबसाइट पर नहीं दी गई है। इसके अलावा किसी खबर में भी कंपनी के ऐसे फैसले की जानकारी सामने नहीं आई। अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर आरएस सोढ़ी ने इस दावे का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में कंपनी ने अपने एक भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला है और अमूल के पास 1.38 लाख कर्मचारी नहीं हैं। साथ ही हमारे पास सिर्फ 16,000 से 17,000 कर्मचारी ही हैं। कर्मचारियों का चयन मैरिट के आधार पर होता है और किसी को निकालेंगे तो भी इसके लिए उसके धर्म को आधार कभी नहीं बनाया जाएगा। 



पूरी तरह से फेक है मैसेज 
वायरल मैसेज में आनंद सेठ अमूल का मालिक बताया जा रहा है। सोढ़ी के मुताबिक अमूल एक सहकारी समिति है जिसका कोई मालिक नहीं है। उन्होंने बताया इस कंपनी के मालिक किसान है जो इस कंपनी को दूध सप्लाई करते हैं। जो विभिन्न धर्मों और समुदायों के है। आनंद सेठ नाम का कोई भी व्यक्ति अमूल कंपनी में है ही नहीं। हमने पिछले दो साल से किसी कर्माचारी को नौकरी से नहीं निकाला गया  तो 1.38 लाख कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का दवा पूरी तरह झूठ है।