logo

नील आर्मस्ट्रॉंग को चांद तक ले जाने वाले पायलट माइकल कोलिंस का निधन, पढ़िए! उनकी कहानी

7913news.jpg
द फॉलोअप टीम, डेस्क: 
नील आर्मस्ट्रांग को चांद तक पहुंचाने वाले अपोलो-11 के क्रू मेंबर और अंतरिक्ष यात्री माइकल कोलिंस का निधन हो गया। 28 अप्रैल को माइकल कोलिंस ने दुनिया को अलविदा कह दिया। माइकल कोलिंस 90 वर्ष के थे। कोलिंस लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। माइकिल कोलिंस ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने अपोलो-11 मिशन के अंतरिक्ष यान को चांद पर उतारा था। इसी यान के जरिए नील आर्मस्ट्रॉंग और बज एल्ड्रिन चांद तक पहुंचे थे। तीनों ने इतिहास रचने का काम किया था। 



अपोलो मिशन के दो हीरोज का निधन
गौरतलब है कि पिछले वर्ष ही नील आर्मस्ट्रांग का निधन हो गया। अब माइकल कोलिंस ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया। 91 साल के बज एल्ड्रिन अब उस मिशन के एकमात्र जीवित मेंबर हैं। बता दें कि अपोलो 11 मिशन, इंसान के चांद तक पहली बार पहुंचने की कहानी है। इसके पहले अमेरिकी अंतरक्षि एजेंसी नासा के कई अभियान असफल हुए थे। कुछ अंतरिक्ष यात्रियों की जान भी गयी थी। इसलिए इस मिशन को लेकर कई तरह की शंका थी। अंतरिक्ष यात्रियों में भी घबराहट थी।



यान की चांद पर करवाई थी लैंडिंग
आपको बता दें कि 16 जुलाई साल 1969 को संयुक्त राज्य अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर लांच कॉम्प्लेक्स 39A से अपोलो 11 को लांच किया गया था। 24 जुलाई 1969 को अपोलो 11 धरती पर वापस लौट आया था। मिशन के दौरान नील आर्मस्ट्रॉंग ने चांद पर पहला कदम रखा था। पीछे-पीछे बज एल्ड्रिन चांद पर उतरे थे। माइकल कोलिंस की जिम्मेदारी थी नील और एल्ड्रन को चांद तक सुरक्षित ले जाना और फिर वापस सुरक्षित धरती तक ले आना। यान का लैंडिंग कैप्सूल प्रशांत महासागर में गिरा था। 



कई सम्मान से नवाजे गए कोलिंस
अपोलो मिशन से वापस आने के बाद माइकिल कोलिंस को कई सम्मानों से नवाजा गया। कोलिंस को प्रेशिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम दिया गया। इसी साल उन्हें डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट में असिस्टेंट सेक्रेटरी की नौकरी मिली। साल भर बाद उनको नेशनल एयर एंड स्पेस म्यूजियम का डायरेक्टर बनाया गया। यहां वो साल 1978 तक रहे। साल 1985 में माइकल कोलिंस ने खुद की कंसलटिंग फर्म खोली।