द फॉलोअप टीम, रांची:
कांग्रेस के वरिष्ठ औऱ दिग्गज नेता बंदी उरावं का निधन हो गया। बंदी उरावं बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके थे। छोटानागपुर संताल परगना के अध्यक्ष भी थे बंदी उरावं। सीएम हेमंत सोरेन ने बंदी उराव के निधन पर शोक व्यक्त किया और उनके आवास में जाकर पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण करके श्रद्धांजलि दी। बताया जा रहा है कि बंदी उरांव बीते कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्होंने सोमवार की रात को तकरीबन 11 बजे अंतिम सांस ली। कांग्रेस ने इसे अपूरणीय क्षति बताया है।
बीजेपी नेता डॉ. अरुण उरांव के पिता थे बंदी उरांव
बता दें कि बंदी उरांव पूर्व आईपीएस अधिकारी और भारतीय जनता पार्टी के नेता डॉ.अरूण उरांव के पिता थे। वे पूर्व मंत गीताश्री उरांव के ससुर भी थे। बंदी उरांव 90 वर्ष के थे। केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने बंदी उरांव के निधन पर लिखा कि पूर्व आईपीएस अधिकारी, बिहार सरकार में मंत्री रहे औऱ बीजेपी नेता डॉ. अरुण उरांव के पिता बंदी उरांव के निधन का दुखद समाचार मिला। उनका आदिवासियों के उत्थान में बड़ा योगदान रहा। भगवान उनकी आत्मा को श्रीचरणों में स्थान दें। अर्जुन मुंडा ने लिखा कि उनके परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।
आदिवासी संगठनों ने निधन पर जताया शोक
बंदी उरांव के निधन पर आदिवासी संगठनों ने भी गहरा शोक व्यक्त किया है। बंदी उरांव अपने राजनीतितक करियर में 4 बार विधायक रहे। वे बिहार सरकार में मंत्री रहने के साथ-साथ जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे। पेसा कानून बनाने में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही। विधायक बंधु तिर्की ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुये कहा कि बंदी उरांव के निधन के साथ ही एक युग का अंत हो गया। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बंदी उरांव के निधन पर शोक प्रकट करते हुये कहा कि आज हमने पार्टी का एक मजबूत स्तंभ खो दिया।
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ग्रामसभा की जबर्दस्त वकालत करते थे बंदी उरांव
बंदी उरावं की पहचान ग्रामसभा की जबरदस्त वकातल करने वाले राजनेता के तौर पर की जाती थी। बंदी उरांव को बुढ़ादेव स्थापित करने, आदिवासी समाज को बौद्धिक और अग्रिम पंक्ति का नागरिक बनाने के लिये प्रयास करने और अलग झारखंड राज्य के गठन के लिये निरंतर प्रयासरत रहने वाले नेता के रूप में याद किया जायेगा। बंदी उरांव का जन्म 16 जनवरी 1931 को औपनिवेशिक भारत में हुआ था।