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किसानों के कर्ज माफी के लिए बैंकों को दिये गए 980 करोड़ : बादल

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द फॉलोअप टीम, रांची :

राज्य के किसानों को संपन्न बनाने तथा रिकार्ड कृषि उत्पादन की दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है। किसानों को समय पर बीज उपलब्ध कराने व यूरिया की समयबद्ध सप्लाई के लिये कृषि विभाग ने पूर्व से तैयारी कर रखी थी, उसे अब अमलीजामा पहनाया जा रहा है। यह कहना है कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल का। उन्होंने नेपाल हाउस स्थित एनआईसी में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला में राज्य के सभी जिला कृषि पदाधिकारियों और विभाग से जुड़े पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए ये बातें कही। 


किसानों के कर्ज माफी के लिए बैंकों को दिये 980 करोड़

बादल ने कहा कि अब तक 2 लाख 46 हजार किसानों की कर्ज माफी के लिये बैंकों को 980 करोड़ रुपये कृषि विभाग ने उपलब्ध करा दिया है। मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में कृषि विभाग इस बार पूरी तरह से कमांडिंग मोड में है। उम्मीद है कि पांच साल के इस कार्यकाल में सरकार राज्य के 24 लाख किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने में सफलता हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में कई क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं और आगामी वर्षों में हम देश के उन चुनिंदा कृषि प्रदेशों में शामिल होंगे, जो कृषि उत्पादन के क्षेत्र में खास स्थान रखते हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष समय पर बीज वितरण का कार्यक्रम पूरी पारदर्शिता के साथ किया गया। साथ ही यूरिया का वितरण भी सभी किसानों के बीच किया जा रहा है। उन्होंने खरीफ के मौसम में किसानों को प्रोत्साहित करने के लिये सभी प्रखंडों और जिला स्तर पर जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में कार्यशाला के आयोजन का निर्देश दिया। कहा, इससे कृषि से जुड़ी सभी तरह की तकनीकी जानकारी किसानों की सुलभ होगी। उन्होंने निर्देश दिया कि खरीफ उत्पादन के लक्ष्य को 72 लाख मीट्रिक टन से आगे बढ़ा कर 100 लाख मीट्रिक टन करने के उद्देश्य से कार्य करें। बीएयू के प्रयासों की सराहना करते हुए श्री बादल ने कहा कि नई तकनीक और परंपरागत कृषि के संयुक्त प्रयासों से ही हम कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हैं।

 

कृषकों को योजनाओं का मिले लाभ: अबू बक्कर

कार्यशाला में विभागीय सचिव अबू बक्कर सिद्दिकी ने कहा कि किसानों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिले, इसके लिये पदाधिकारी, कृषि मित्र और जनसेवक किसानों से मिलें और उनकी जरूरतों के मुताबिक कृषि उत्पादन के संसाधन उपलब्ध करायें। उन्होंने कहा कि जनसेवक अब जिला कृषि पदाधिकारी के अधीन रहेंगे। सिद्दिकी ने कहा कि फसल राहत योजना के तहत किसानों का रजिस्ट्रेशन अवश्य करायें, ताकि फसल का नुकसान होने पर उसकी भरपाई की जा सके। वहीं हॉर्टीकल्चर के लिये प्रोग्रेसिव किसानों को ई- मार्केटिंग से जोड़ने का निर्देश दिया। कृषि सचिव ने कहा कि खेती योग्य जमीन के दायरे को बढ़ाना है। राज्य में करीब 10 लाख हेक्टेयर के गैप को कम करने की जरूरत पर बल दिया। साथ ही किसानों को मल्टीक्रॉपिंग के लिये प्रोत्साहित करने और उनकी मांग के अनुरूप बीज, खाद और कृषि यंत्र उपलब्ध कराने का प्रयास करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जिले में अलग-अलग विभागों द्वारा बने तालाब, डैम नहर के अगल बगल की जमीन पर खेती सुनिश्चित करें। वहीं जरूरत के मुताबिक सिंचाई योजना की रूपरेखा भी तैयार करें।

 

कृषि सिर्फ व्यवसाय नहीं, संस्कृति है: निशा उरांव

कृषि निदेशक निशा उरांव ने कहा कि कृषि हमारे लिये केवल उद्योग नहीं, बल्कि संस्कृति है। कृषि विभाग का यह प्रयास है कि कृषि के क्षेत्र में पारंपरिक तौर तरीकों के साथ वैज्ञानिक पद्धति को भी समावेशित किया जाए। उन्होंने बताया कि इस बार टोकन के माध्यम से बीज तथा यूरिया का वितरण पूरी पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है। कृषि जागरूकता के साथ किसानों को पंचायत स्तर तक तकनीकी रूप से जोड़ा जा रहा है। कुल आवंटित 82 हजार मीट्रिक टन इंपोर्टेड यूरिया का 60 फीसदी प्राप्त किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि राज्य में किसानों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिये कृषि पाठशाला सह बिरसा गांव योजना शुरू की जा रही है, जिसके तहत किसानों को बागवानी, मत्स्य एवं कृषि से जुड़ी तमाम तकनीकी जानकारी दी जायेगी।  इसके अलावा कृषि समृद्धि योजना के तहत सोलर आधारित टपक सिंचाई भी प्रारंभ की जा रही है। कृषि यांत्रिकीकरण के तहत अब तक 411 महिला समूह चिन्ह्ति किये गये थे, जिनमें से 130 महिला समूहों को 90 प्रतिशत अनुदान पर ट्रैक्टर और रोटावेटर वितरित किये जा चुके हैं।

कार्यशाला में मुख्य रूप से पशुपालन निदेशक शशि प्रकाश झाकृषि उपनिदेशक विजय कुमारडीडीजी मुकेश कुमार, शिवा महालिंगम, बीएयू से डा. वदूद, डा. लूसिया एवं समिति निदेशक डॉक्टर सुभाष सिंह उपस्थित थे।