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शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण को ही सरकार समझ रही बड़ा काम: केंद्रीय सरना समिति

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द फॉलोअप टीम, रांची:
केंद्रीय सरना समिति ने हूल दिवस पर हूल क्रांति के महानायकों को सिद्धो-कान्हो पार्क स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर याद किया। समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि झारखंड के सभी शहीदों को अबतक सही सम्मान नहीं मिला। राज्‍य बने 20 साल होने के बावजूद सरकार के द्वारा शहीदों के परिजनों की अनदेखी की गई है। शहीदों के परिवारों की हालत बद से बदतर हो गई है। राज्य सरकार शहीदों के जन्म दिवस और पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर अपना इतिश्री समझ ले रही है। उनके सपनों को साकार करने की कोई जरूरत नहीं महसूस की जा रही है।

बबलू मुंडा ने सुनाई कहानी 
बबलू मुंडा ने इस दौरान हूल क्रांति की कहानी भी कही। उन्होंने बताया कि सिद्धो मुर्मू का जन्म 1815 में और कान्हो मुर्मू का जन्म 1820  में हुआ था।  संथाल विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाने वाले इनके और दो भाई थे जिनका नाम चांद मुर्मू और भैरव मुरमू था चांद का जन्म 1825 में एवं भैरव का जन्म 1835  में हुआ था। इनके अलावा इनकी दो बहन थी फूलों मुर्मू , झानो मुर्मू।  इन छह भाई- बहनों के पिता थे चुन्नी माँझी। सिद्धू ने 1855-56 में ब्रिटिश सत्ता साहूकारों व्यापारियों, जमीदारों के अत्याचार के खिलाफ एक विद्रोह का शुरुआत की जिसे संथाल विद्रोह या हुल आंदोलन के नाम से जाना जाता है।  संथाल विद्रोह का नारा था करो या मरो, अंग्रेजों हमारी मिट्टी छोड़ो।  

कृष्ण कांत ने कथा को आगे बढ़ाया
महासचिव कृष्ण कान्त टोप्पो ने बताया कि सिद्दो ने अपनी दैविक शक्ति का हवाला देते हुए सभी माझी हो को साल की टहनी भेज कर संथाल हूल में शामिल होने के लिए आमंत्रण भेजा।  30 जून 1855 को भोगनाडीह में संताल आदिवासियों की एक सभा हुई, जिसमें 400 गांव के 5000 लोग एकत्रित हुए जिसमें सिद्धू  को राजा कान्हो को मंत्री, चांद को मंत्री एवं भैरव को सेनापति चुना गया। संथाल विद्रोह भोगनाडीह से शुरू हुआ जिसमें संथाल तीर धनुष से लैस अपने दुश्मनों पर टूट पड़े इस भयंकर मुठभेड़ में संताल की हार हुई क्योंकि यह लोग इस धनुष से लड़ाई कर रहे थे। जबकि अंग्रेज के पास आधुनिक हथियार था। सिद्धू को अगस्त 18 से पकड़ कर पंचकटिया नामक जगह पर बरगद के पेड़ पर फांसी दे दी गई। माल्यार्पण करनेवालों में मुख्य पहान जगलाल पहान, समिति के सचिव अमर मुंडा, सुनील साँगा और अनिल उराँव इत्यादि शामिल थे ।