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दलित लेखक संघ के पहले अगुआ सूरजपाल चौहान को अंतिम जोहार!

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द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
दलित लेखक संघ के पहले अध्य‍क्ष रहे, लेखक-कवि सूरजपाल चौहान का आज दिल्ली में निधन हो गया। वो किडनी के मर्ज से काफी महीनों से पीड़ित थे। फॉलोअप को इधर उनका लगातार रचनात्‍मक सहयोग मिला। 8 अप्रैल को उन्होंने अंतिम लेख भेजा था। फॉलोअप की टीम उन्हें अंतिम जोहार! कहती है। वो अपने विविध लेखन में अमर रहेंगे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के कुरावली गांव में 20 अप्रैल 1955 को हुआ था। बचपन से ही उन्होंने दलितों के साथ क्रूर भेदभाव झेला। जिसने उन्हेंं लेखक में तब्दील किया। 

उनकी प्रमुख किताबें
उन्होंकने कई विधाओं में लिखा। उनकी प्रमुख किताबों में यास, क्यों विश्वास करूँ, कब होगी वह भोर, बच्चे सच्चे किस्से, बाल मधुर गीत (कविता-संग्रह), हैरी कब आएगा, सन्तप्त, तिरस्कृत, नया ब्रह़मण और धोखा (कथा-संग्रह) शामिल है। उन्हेंं हिन्दी साहित्य परिषद पुरस्कार और रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार समेत कई सम्माधन मिले।

साहित्य समाज में शोक
सूरजपाल चौहान के निधन पर चौथीराम यादव, अजय तिवारी, रजत रानी मीनू, अनिता भारती, जय प्रकाश कर्दम, मुकेश चौहान, धीरेश सैनी, अजय नावरिया, सर्वेश मौर्या, सुनील कुमार सुमन, अरुण नारायण, संजीव चंदन और हीरालाल राजस्थानी समेत कई प्रुखख लेखक-कवियों ने शोक-संवेदना व्याक्त  की है।