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रांची: 15 सूत्री मांगों को लेकर फिर सड़क पर उतरीं रसोईया-संयोजिकाएं, सीएम आवास को घेरने का प्लान

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

रसोईय़ा और संयोजिका संघ गुरुवार को सड़क पर उतरा। रसोईया और संयोजिका संघ के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में रसोईया और संयोजिका मोरहाबादी मैदान में जमा हुईं। वे मुख्यमंत्री आवास का घेराव करना चाहती थीं। वे मुख्यमंत्री से मिलकर उनको अपने 15 सूत्री मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपना चाहती हैं। फिलहाल प्रशासन द्वारा उनको रोक दिया गया है। रसोईया एवं संयोजिका संघ मुख्यमंत्री आवास तक जाने की जिद पर अड़ी थीं। ये आंदोलन नया नहीं है। 

मुख्यमंत्री के सामने रखी ये प्रमुख मांग
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम लिखे पत्र में रसोईया एवं संयोजिका संघ ने बताया कि वे लोग 2004 से काम कर रही हैं। उनको आज तकरीबन 17 साल बीतने के बाद भी प्रतिदिन 42 रुपये की दर से मेहनताना मिलता है। संयोजिका से फ्री सेवा ही ली जा रही है। संघ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि रसोईया एवं संयोजिता को स्थायी करते हुए न्यूनतम वेतनमान लागू किया जाए। कुल पंद्रह मांगों की सूची संघ मुख्यमंत्री को सौंपना चाहता है। इसका विवरण निम्नलिखित है। 


हटाई गईं कर्मियों को बहाल करने की मांग
संघ ने बतौर पहली मांग कहा है कि प्रदेश भर में काम से हटाई गईं रसोईया एवं संयोजिका को वापस बहाल किया जाए। लिखा है कि 8 जुलाई 2016 को तात्कालीन शिक्षा सचिव अराधना पटनायक ने वार्ता के बाद हटाई गईंरसोइया और संयोजिका को बहाल करने का पत्र सभी जिलों में भेजा था। पांच साल बीत गए लेकिन उनको वापस बहाल नहीं किया गया। मांग है कि उनकी अविलंब बहाली की जाए ताकि वे सम्मानपूर्वक जिंदगी जी सकें।  दूसरी मांग ये है कि संयोजिकाओं को भी रसोईया की तरह मानदेय का भुगतान किया जाए। मांग ये भी है कि साल 2018 में रघुवर दास के कार्यकाल में संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजित प्रजापति, प्रदेश कोषाध्यक्ष अनिता देवी, प्रदेश महासचिव प्रेमनाथ विश्वकर्मा पर 12 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस केस से मुक्त किया जाये। 

 

केरल की तर्ज पर वेतन भुगतान की मांग
सभी रसोईया एवं संयोजिका को केरल के दर्ज पर प्रतिदिन 400 रुपये की दर से मजदूरी का भुगतान किया जाए। वर्षों  से काम कर रही रसोईय़ा एवं संयोजिका को न्युक्ति पत्र जारी कर स्थायी किया  जाए। रसोईय़ा-संयोजितका अध्यक्ष के लिए सरकार द्वारा परिचय पत्र निर्गत किया जाए। मध्यान भोजना योजना को निजी कंपनी को ना सौंपकर पूर्व की भांति विद्यालय में ही बनने दिया जाए। रसोइया के मानदेय को 10 माह की जगह 12  माह किया जाये। अध्यक्ष को भी मानदेय का भुगतान किया जाये। विद्यालय के मध्यान भोजन संचालन और सामान की खरीददारी की जिम्मेदारी संयोजिका को दी जाये। कई जिलों में बीते 8 माह से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया। अविलंब भुगतान किया जाये। 

 

रसोईया-संयोजिका के लिए 5 लाख का बीमा
सभी रसोईया एवं संयोजिकाओं का पांच लाख रुपये का निशुल्क बीमा करवाया जाये। 2004 से काम कर रही रसोइया और संयोजिका के बच्चों का पढ़ने का शर्त समाप्त कर निकाल बाहर करने की प्रक्रिया बंद की जाये। विद्यालय का मध्यान भोजन के लिए स्थायी समिति की घोषणा की जाये। सभी रसोईया एवं संयोजिका को साल में 2 ड्रेस एप्रॉन के साथ दिया जाये। 

 

रसोईय़ा-संयोजिका के लिए महिला अवकाश
सभी रसोईया एवं संयोजिकाओं को महिला अवकाश लागू किया जाए। तमाम तरह की छुट्टी पाने का अधिकार दिया जाये। जिस विद्यालय में एक रसोईया है वहां एक रसोईया और बहाल किया जाये, ताकि बार-बार बीमार पड़ने पर विद्यालय में मध्यान भोजन प्रभावित ना हो। विद्यालयों को दोबारा चालू किया जाये ताकि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके। 

 

शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करें
शिक्षकों के गैर शैक्षणिक कार्यों से पूरी तरह मुफ्त दिया जाये। उनसे केवल शैक्षणिक कार्य ही लिया जाये। जिन विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है वहां अविलंब शिक्षक की बहाली की जाये। राज्य के सभी विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षक, संगीत शिक्षक और खेल शिक्षक की बहाली की जाये। सभी विद्यालयों में किरानी, रात्रि प्रहरी, सफाईकर्मी और पीयुन की नियुक्ति की जाये। 


स्कूलों में आधारभूत संरचना का विकास किया जाये
सभी विद्यालयों में चाहरदीवारी बनाते हुए गेट का निर्माण करवाया जाये। डीप बोरिंग कर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जाये।  सभी विद्यालयों में बिजली का कनेक्शन की व्यवस्था की जाये। पंखे की सुविधा दी जाये। विद्यालयों में राष्ट्रीय पर्व मनाने  के लिए विशेष फंड की व्यवस्था की जाये। सभी विद्यालयों में लाउड-स्पीकर की व्यवस्था की जाये। छात्रवृत्ति, पाठ्य-पुस्तक और साइकिल समय पर दिया जाये।