द फॉलोअप टीम, लोहरदगा:
कई मरीज गंभीर अवस्था में भी सरकारी अस्पताल जाते है, क्योंकि उनके पास प्राइवेट अस्पतालों का खर्च उठाने की हैसियत नहीं होती है। लेकिन कुछ एजेंट और दलाल इस कदर अपने निजी स्वार्थ में चूर है की उन्हें किसी के आर्थिक हालत से कोई मतलब नहीं है। जी हाँ, हम बात कर रहे है कुछ दलालों और एजेंटों की जो गरीब मरीजों की मज़बूरी का फायदा उठा कर उन्हें प्राइवेट अस्पताल भेज देते है। जहाँ उनसे मनमाने ढंग से पैसा वसूला जाता है और हालत गंभीर होने पर वापस सरकारी अस्पताल भेज दिया जाता है।
लोहरदगा के प्राइवेट अस्पतालों में चल रही है जांच
जिन मरीजों को गंभीर अवस्था में सदर अस्पताल से रिम्स रेफर किया जाता है। उन मरीजों को फुसलाकर प्राइवेट अस्पताल लाने का काम लोहरदगा के कई प्राइवेट अस्पताल कर रहे हैं। महज कुछ रुपयों के लिए ये अस्पताल मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे है। इस मामले की जांच स्वास्थ्य विभाग कर रहा है। फिलहाल लोहरदगा के जनता हास्पिटल और जीवनदीप अस्पताल नामक दो प्राइवेट अस्पताल की जांच की जा रही है। जीवनदीप अस्पताल ने कहा है कि मरीज के परिजन अपनी मर्जी से मरीजों को उनके अस्पताल में लेकर आते हैं।
हालत बिगड़ने पर वापस सरकारी अस्पताल भेज देते हैं
सड़क हादसे में कुछ मरीजों की हालत गंभीर हो गयी थी। जिनको सदर अस्पताल से रिम्स रेफर किया गया था। लेकिन एक एजेंट ने उन मरीजों को बेहतर इलाज का भरोसा देकर जनता हॉस्पिटल ले आया। जब इनकी हालत बिगड़ने लगी तो वापस से एक मरीज को रिम्स भेज दिया और दूसरे को फिर वापस सदर अस्पताल भेज दिया।
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मनमाने तरीके से लिया जा रहा पैसा
महुआ टोली के पास देर शाम 24 जनवरी को अज्ञात वाहन की चपेट में आने से विवेक उरांव और नीरज उरांव राजेंद्र साहू घायल हुए थे। इनमें विवेक और नीरज को रिम्स रेफर किया गया था, जिन्हें प्राइवेट अस्पताल अपने यहां ले गए। फिर हालत बिगड़ने पर पल्ला झाड़ लिया। प्रभारी डीएस और वरिष्ठ सर्जन डा शंभू नाथ चौधरी ने जानकारी दी कि सदर हॉस्पिटल में कुछ प्राइवेट अस्पतालों के एजेंट हमेशा मरीजों को बरगलाकर अपने यहां ले जाने का काम करते हैं। वहां मरीजों का ठीक से इलाज नहीं होता। कई दिन रखकर मनमाने पैसे लिए जाते हैं। मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ होता है।