द फॉलोअप टीम, रांची
झारखंड शायद पहला ऐसा राज्य होगा, जहां कि राज्य गठन के बाद से ही सचिवालय में स्वीकृत पदों को भरने का कभी प्रयास नहीं किया गया। 20 सालों के अंदर किसी भी सरकार ने इसपर गंभीरता नहीं दिखाई। इस अंतराल में अधिकतर लोग रिटायर हो गए, लेकिन उनकी जगह नहीं भरी गई। कुछेक अनुकंपा पर नौकरियां जरूर मिली हैं, लेकिन कभी बहाली नहीं निकाली गई। सच कहा जाए तो सचिवालय की रीढ़ संविदाकर्मी हैं। इनके बिना सचिवालय का चलना मुश्किल है।
90 फीसदी पद खाली
मौजूदा दौर में झारखंड मंत्रालय सचिवालय संवर्ग के अधिकारियों की कमी झेल रहा है। आधे से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं। संयुक्त सचिव से लेकर सहायक स्तर तक के पद खाली पड़े हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो लगभग 90 फीसदी पद खाली पड़े हुए हैं। झारखंड सचिवालय सेवा के विभिन्न स्तर पर स्वीकृत एवं कार्यरत बल के बीच काफी अंतर है। सचिवालय में सहायक, प्रशाखा पदाधिकारी, अवर सचिव, उप सचिव और संयुक्त सचिव के कुल 2,375 स्वीकृत पद हैं। इनमें से 1043 पद ही कार्यरत हैं, यानी 1332 पद खाली हैं।
कामकाज होता है प्रभावित
सचिवालय में पदाधिकारियों की कमी का असर कामकाज पर भी पड़ रहा है। सचिवालय संवर्ग के अधिकारी सचिवालय के महत्वपूर्ण अंग होते हैं। हर विभाग में प्रशाखा होती है, जिसके प्रभारी प्रशाखा पदाधिकारी ही होते हैं। प्रशाखा पदाधिकारी के 90 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं। नतीजा यह है कि एक सहायक प्रशाखा पदाधिकारी दो से तीन प्रशाखा के प्रभार में हैं, जिसका असर कामकाज पर पड़ रहा है। काम की रफ्तार भी धीमी है। सही तरीके से काम नहीं हो पा रहा है।
जिम्मेवारियां बढ़ीं, लेकिन पद नहीं भरे गए
किसी भी विभाग में प्रशाखा पदाधिकारी मुख्य होते हैं। प्रोन्नति नहीं मिलने से यह पद पूरी तरह से खाली है। केवल जिम्मेवारियां बढ़ गयी, पर पद नहीं भरे। वष 2008 में कई नयी शाखाओं की बढ़ोतरी हो गयी, परंतु उसके अनुसार पदों का सृजन नहीं हुआ। सहायक प्रशाखा पदाधिकारी का पद बहाली का पद है। इसके 15 फीसदी पद प्रोन्नति व परीक्षा से भरा जाना है। सरकार को अधियाचना भी भेजा जा चुकी है, पर कुछ कारणवश मामला लटक गया है।
कब भरे जाएंगे स्वीकृत पद ?
राज्य गठन के बाद से सचिवालय में स्वीकृत पद को कभी नहीं भरा जा सका। सचिवालय संवर्ग में संयुक्त सचिव के 23 पद स्वीकृत हैं। इनमें चार पद खाली हैं। वहीं उप सचिव के 54 पद स्वीकृत हैं। इनमें 17 पद अब तक रिक्त हैं। इसके अलावा अवर सचिव के 328 पद स्वीकृत हैं। इनमें 236 पद कार्यरत हैं। 17 पद खाली पड़े हुए हैं, जबकि प्रशाखा पदाधिकारी के 657 पद स्वीकृत हैं। इनमें मात्र 57 पद ही कार्यरत हैं। प्रशाखा पदाधिकारी के 600 पद खाली पड़े हुए हैं। इसके अलावा सहायक प्रशाखा पदाधिकारी के 1313 स्वीकृत पद के खिलाफ 694 पद ही कार्यरत हैं। 619 पद अब भी रिक्त हैं।
किसी भी सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई
दरअसल, नियुक्तियों को भरने के लिए किसी भी सरकार ने कारगर ढंग से पहल नहीं की। यही कारण है जो काम दो दिन का होता है, उसमें दो महीने लग जाते हैं। कई फाइलें धूल फांक रही हैं, या फिर मैन पावर के अभाव में कार्यगति धीमी पड़ी है, ऊपर से लापरवाही का आलम है। खाली पदों पर कबतक बहाली होगी, यह यक्ष प्रश्न है। लंबे समय से सचिवालय में नियुक्ति-प्रोन्नति के मामलों में सरकार मौन है। अहम सवाल ये कि फिर जवाब देगा कौन?