द फॉलोअप टीम,रांची
झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को रिम्स के वार्ड से निदेशक बंगला और बंगला से वापस पेइंग वार्ड शिफ्ट करने को लेकर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने सरकार को यह बताने को कहा है कि लालू प्रसाद को पेइंग वार्ड से निदेशक बंगला में शिफ्ट करने का निर्णय किसका था। फिर बंगला से पेइंग वार्ड में उन्हें किसके आदेश से शिफ्ट किया गया। अदालत ने लालू प्रसाद को मिलने वाले सेवादार की नियुक्ति प्रक्रिया पर भी जानकारी मांगी है और यह बताने को कहा है कि सेवादार नियुक्त करने के लिए क्या प्रावधान है और कैसे उसका चयन किया जाता है। जेल प्रशासन को यह बताने को कहा गया था कि लालू प्रसाद से मिलने में जेल मैनुअल का पालन किया गया है या नहीं। जेल प्रशासन की ओर से समय पर जानकारी नहीं दिए जाने पर हाईकोर्ट ने कारा महानिरीक्षक और बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के अधीक्षक को शो कॉज किया था।
लालु मामले में सरकार का बयान
शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि कैदियों से मिलने वालों के लिए एसओपी बनायी गयी है। इसके तहत सुरक्षा और कैदियों से मिलने की प्रक्रिया तय की गयी है। इस पर कोर्ट ने एसओपी की विस्तृत जानकारी भी 18 दिसंबर को पेश करने का निर्देश दिया।
11 दिसंबर को है जमानत पर फैसला
लालू प्रसाद की जमानत पर फैसला 11 दिसंबर को होगा। बता दें कि उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान लालू के जेल में सजा की आधी अवधि को लेकर सीबीआई और लालू प्रसाद की ओर से अलग-अलग दावे किए गए थे । सीबीआई का कहना था कि लालू प्रसाद ने जेल में सिर्फ 34 माह ही बिताए हैं, जबकि लालू प्रसाद की ओर से दावा किया गया कि वे 42 माह 28 दिन की सजा काट चुके हैं। दोनों के अलग-अलग दावे के बाद लालू प्रसाद की ओर से पक्ष रख रहे वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बीतें दिनों अदालत में सजा की आधी अवधि को सत्यापित करने का प्रस्ताव देते हुए सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया था। इस आग्रह को स्वीकार करते हुए जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने सजा की अवधि को सत्यापित कर 11 दिसंबर को लालू प्रसाद को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी थी