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कैप्टन और शाह की 45 मिनट की मुलाकात से पंजाब विधानसभा चुनाव में BJP को क्या फायदा मिलेगा! 

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द फॉलोअप टीम, पंजाब: 

पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से नवजोत सिंह सिद्धू के क्रांतिकारी इस्तीफे के बाद कांग्रेस में हालात बदले हैं, वो कांग्रेस आलाकमान से संभाले नहीं संभल रहा। जाहिर है कि पंजाब में मुख्यमंत्री पद की लालसा रखने वाले सिद्धू की महत्वाकांक्षा वाली सियासत के पिटने के बाद से कांग्रेस चारों खाने चित है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि बरसों तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे अमरिंदर सिंह भी पद से इस्तीफे के बाद से लगातार बगावती रूख अख्तियार किये हुए हैं। पंजाब कांग्रेस के अंदर मचे घमासान के बीच अमरिंदर सिंह ने बुधवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से करीब 45 मिनट तक मुलाकात की है।

कैप्टन के सहारे पंजाब साधने की कोशिश में बीजेपी!
हाल में संसद से पास कृषि कानून के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान संगठनों द्वारा महापंचायतों का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर से बड़ी संख्या में किसान पहुंचे थे। जाहिर है कि महापंचायतों के आयोजन का सीधा प्रभाव इन राज्यों के विधानसभा चुनावों पर भी पड़ेगा। कांग्रेस के अलावा भी इन राज्य में कई क्षेत्रीय पार्टियां कृषि कानून का विरोध कर रही हैं। राज्य में हो रहे इन चौतरफा विरोधों के बीच भी बीजेपी इन राज्यों में किसानों को मनाने की भरसक कोशिश कर रही है। भाजपा की किसानों को मनाने की सारी कोशिशें नाकामयाब ही साबित हुई हैं। अब पंजाब के मुख्यमंत्री पद से अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद भाजपा को पंजाब में किसानों को मनाने का एक अच्छा माध्यम दिख रहा है। 

कैप्टन और शाह की मुलाकात में क्या हुआ! 
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद बीजेपी में उनके शामिल होने की अटकलें लगनी शुरू हो गई थी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अमरिंदर सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह से कृषि कानून ख़त्म करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी तथा फसल विविधीकरण में पंजाब की मदद के लिए अपील की है। ज्ञात हो कि भाजपा अकाली दल के एनडीए गठबंधन से दूर जाने से भी पंजाब में खासी कमजोर हुई है। अब भाजपा अमरिंदर सिंह के माध्यम से कोशिश में है कि पंजाब के किसान संगठनों के साथ तालमेल बिठाकर उन्हें धीरे ही सही पर राज्य विधानसभा के पहले जरूर मनाले।