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कोल्हान विश्वविद्यालय में घटाई गई सीटों की संख्या, तर्क की हमारे पास शिक्षक ही नहीं है

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द फॉलोअप टीम, जमशेदुपर: 

कोल्हान यूनिवर्सिटी में पीजी में नामांकन का नया फंडा अपनाया जा रहा है। नये नियम को लेकर विभिन्न छात्र संगठनों में आक्रोश है। लगातार आंदोलन किया जा रहा है। गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी में पीजी में पढ़ाने के लिए कोई स्थायी शिक्षक हैं ही नहीं। यूनिवर्सिटी में स्थायी शिक्षक की बात की जाये तो इसकी संख्या 150 के आसपास है। इनमें से आधे से ज्यादा शिक्षक प्रशासनिक कार्यों में लगाए गये हैं। 

शिक्षक के अभाव में पीजी की पढ़ाई संभव नहीं
गौरतलब है कि आधे शिक्षकों की पीजी की पढ़ाई संभव नहीं है। यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की घंटी आधारित शिक्षक विभिन्न विषयों के लिए नियुक्त करता है लेकिन पीजी के मामले में ऐसा नहीं किया गया है। घंटी आधारित शिक्षकों को पीजी की कक्षा लेने की मनाही है, जबकि स्नातक की पूरी पढ़ाई इन्हीं शिक्षकों पर निर्भर है। इस कारण पीजी में नामांकन को छात्रों के आवेदन रहने के बावजूद सीट नहीं बढ़ाया गया है। बता दें कि बीते वर्षों में जिन विषयों में 160-200 विद्यार्थियों का नामांकन होता था उन विषयों के सीटों को 120 कर दिया गया है। 

कॉलेजों ने स्पष्ट कहा कि हमारे पास शिक्षक नहीं
कॉलेजों का स्पष्ट कहना है कि हमारे पास शिक्षक ही नहीं हैं। ऐसे में हम छात्रों को पढ़ाएंगे कैसे। इस मामले से यूनिवर्सिटी भी अवगत है। जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज की बात की जाये तो यहां एमकॉम में 2 स्थायी और 1 अस्थायी शिक्षक हैं। पिछले साल यहां एमकॉम में 150 नामांकन हुआ था। इस बार सीटों की संख्या 120 रखी गई है। इस क़ॉलेज के भूगोल में पीजी की पढ़ाई के लिए 1 भी शिक्षक नहीं है। पिछले साल इस विषय में 160 छात्रों का नामांकन किया गया था। पॉलिटिकल साइंस में 2 स्थायी शिक्षक हैं जबकि सीटों की संख्या 60 है। इतिहास विषय का एक भी शिक्षक नहीं है जबकि सीट 60 है। 60 सीटों वाले उर्दू विषय में भी 1 भी शिक्षक नहीं है। 

छात्र संगठनों ने राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की
इस मामले को लेकर अखिल भारतीय छात्र संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट ऑर्गेनाजेशन जैसे छात्र संगठनों ने पीजी की पढ़ाई और सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग को लेकर राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है। मांग है कि पीजी में विषयवार सीटों की संख्या बढ़ाई जाये। इसके लिए स्थायी शिक्षक की व्यवस्था की जानी चाहिए। घंटी आधारित शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए।