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पीएम मोदी राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लोगों को लुभाने की कोशिश में, क्या वोटर पर असरकारक होगा?

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द फॉलोअप टीम, पटना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार विधानसभा के चुनाव प्रचार में उतरते ही राष्ट्रवाद का मुद्दा एक बार फिर से उछल गया है। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को दिए अपने तीन चुनावी भाषणों में गलवान घाटी में बिहार रेजिमेंट के जवानों की बहादुरी की चर्चा करते हुए कहा कि आज भारत को कोई आंख नहीं दिखा सकता। भारत का स्वाभिमान है बिहार और बिहार के जवानों ने गलवान घाटी और पुलवामा में बलिदान दिया लेकिन भारत माता का शीश नहीं झुकने दिया हम उनको श्रद्धांजलि देते हैं। लगे हाथों उन्होंने धारा 370 को लेकर भी कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि धारा 370 दोबारा लागू हो, लेकिन ये सम्भव नहीं है। इसके साथ ही कहा कि एनडीए  के विरोध में आज जो लोग खड़े हैं, वो देशहित के हर फैसले का विरोध कर रहे हैं।

पीएम की एजेंडा बदलने की कोशिश 
ज़ाहिर है कि प्रधानमंत्री ने आते ही चुनाव का एजेंडा सेट करने की कोशिश की है। वहीं महबूबा मुफ़्ती ने भी अनुच्छेद 370 को लेकर विवादास्पद बयान दे दिया है, इसके बाद ये मामला अब और गरमाने वाला है। प्रधानमंत्री के एजेंडे का असर राहुल गांधी पर भी दिखा जब राहुल गांधी ने एक रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी बतायें कि चीन के सैनिकों को हिंदुस्तान की धरती से कब भगाया जाएगा? सवाल यह है कि हमारे पवित्र देश के भीतर चीन की सेना क्यों?

राहुल के सामने उछला राष्ट्रवाद का मुद्दा
 राजानकार मानते हैं कि प्रधानमंत्री के राष्ट्रवाद के मुद्दे उछालने के बाद राहुल गांधी को भी उस मुद्दे पर बोलना पड़ा। दरअसल राष्ट्रवाद ही वो मुद्दा है जिसने 2014 का लोकसभा चुनाव हो या 2019 का लोकसभा चुनाव, भाजपा ने इस मुद्दे को आगे कर विरोधियों को ज़बरदस्त शिकस्त दी। अभी जब तेजस्वी यादव रोज़गार के मुद्दे के बहाने एनडीए पर बढ़त बनाने की कोशिश में लगे हैं तो एनडीए राष्ट्रवाद और बिहार में जंगल राज का मुद्दा उठाकर तेजस्वी सहित महागठबंधन को बैकफुट पर लाने की कवायद में लग गया है।

राष्ट्रवाद का मुद्दा बनाम तेजस्वी का रोजगार 
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि तेजस्वी  यादव को भी पता है कि राष्ट्रवाद का मुद्दा जब उठता है तो तमाम मुद्दे गौण हो जाते हैं। अब जब असदुद्दीन ओवैसी भी अपने उम्मीदवारों के लिए चुनावी प्रचार के लिए बिहार पहुंच गए हैं तो ये मुद्दा और रंग पकड़ेगा,  इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। तभी तो लगातार चुनाव प्रचार करने के बाद भी तेजस्वी प्रेस वार्ता करते हैं और रोजगार का मुद्दा उठाकर एनडीए को इसी मुद्दे के इर्द-गिर्द रखना चाहते हैं, लेकिन एनडीए  बिहार में डबल इंजन सरकार के विकास के मुद्दे, जंगल राज के साथ-साथ राष्ट्रवाद का मुद्दा ज़ोर शोर से उठाने की कोशिश कर चुनाव में विरोधियों पर बढ़त बनाने की कोशिश तेज कर सकता है।