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लोक विश्वास हमारी परंपरा है, जिसे जीवित रखना जरूरी: बंधु तिर्की

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द फॉलोअप टीम, रांची।

लोक विश्वास हमारी परंपरा है, जिसे जीवित रखना जरूरी है। आधुनिक युग में हम इन्हें पीछे छोड़ते जा रहे है। यह कहना है, पूर्व शिक्षामंत्री सह मांडर विधायक बंधु तिर्की का। रविवार को उन्‍होंने कहा कि एम मोदस्सर की पुस्तक "झारखंड में लोक विश्वास का स्वरूप" हमारे लोक विश्वासों को नई पीढ़ी तक पहुंंचाने के लिए संजीवनी साबित होगी। बंधु ने अपने आवास पर उक्‍त किताब का लोकार्पण किया।

मोदस्सर की पुस्तक "झारखंड में लोक विश्वास का स्वरूप" का लोकार्पण

लेखक एम मोदस्सर ने बताया कि कोविड-19 के कारण लोकार्पण अनौपचारिक ढंग से कराया गया। भारत के बहुत सारे विद्वानों और आधुनिक समाज का झारखंड में माने जाने वाले लोक विश्वासों को अंध विश्वास कहना कहीं न कहीं गलत साबित होता दिख जाता है। वैज्ञानिक युग में भी झारखंड में लोक विश्वास की मजबूत जड़ों का नजरअंदाज करना नामुमकिन है।

पुरखों की बातें और परंपरा ही ही सहारा

धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक-सभी प्रकार की शिक्षा के लिए सदियों से यहां के लोग अपने अपने पुरखों से प्राप्त लोक साहित्य का ही सहारा लेते आए हैं। इस पुस्तक में इन्हीं लोक विश्वासों को लोगों के साक्षाात्कार के ज़रिए एकत्रित करने के बाद लिपिबद्ध कर लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया है।

ये रहे शामिल

मौके पर मजकूर आलम सिद्दीकी, जावेद अख्तर, ज़फर इमाम, अशोक कुमार दास, महबूब आलम, नीतू मुंडा, पुष्पा उराँव, बीना कुमारी, अनिमेष बागची, सोनू लकड़ा सहित कई प्रबुद्ध उपस्थित थे।