द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी ने दुनिया की सबसे बड़ी सर्च इंजन कंपनी गूगल को खत लिखा है। इस खत में आईएनएस ने कहा है कि गूगल ने अब तक भारतीय न्यूज पेपर्स के जितने कंटेंट का इस्तेमाल व्यवसायिक फायदे के लिए किया है उसकी क्षतिपूर्ति करे और भारतीय समाचार पत्रों के कंटेंट से गूगल ने कितना व्यवसाय किया उसके राजस्व का पूरा विवरण साझा करे। बता दें कि ये मामला पहले ऑस्ट्रेलिया में उठा।
आईएनएस ने गूगल से मांगा 85 फीसदी शेयर
गूगल इंडिया के प्रबंध निदेशक संजय गुप्ता को लिखे इस पत्र में इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी के अध्यक्ष एल आदिमूलम ने कहा कि विज्ञापन से हासिल राजस्व का 85 फीसदी हिस्सा समाचार प्रकाशकों के साथ शेयर करना चाहिये। ये मामला सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया में उठा जहां की सरकार ने कानून बनाया जिसके तहत गूगल और फेसबुक से कहा गया है कि वे मीडिया संस्थानों के कंटेंट के जरिये हासिल राजस्व को मीडिया कंपनियों के साथ अनिवार्य रूप से शेयर करेंगे। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने इस मसले को लेकर गूगल और फेसबुक के खिलाफ काफी कड़ा रूख अपनाया है।
‘रेवेन्यू शेयरिंग में पारदर्शिता बरते गूगल इंडिया’
भारतीय संदर्भ में देखें तो आईएनएस डिजिटल उपसमिति के प्रमुख से जब पूछा गया कि अभी गूगल की तरफ से भारतीय समाचार पत्रों को विज्ञापन से प्राप्त राजस्व का कितना हिस्सा मिलता है तो उन्होंने कहा कि ये पूरी प्रक्रिया बहुत अपारदर्शी है। हमें महीने के अंत में गूगल की तरफ से एक चेक मिलता है, लेकिन पता नहीं चलता कि हमें कुल राजस्व का वाकई में कितना हिस्सा मिला। देखा जाये तो गूगल या फेसबूक हमारे कंटेंट से पैसा बनाती है इसलिए हमें इसका ज्यादा हिस्सा मिलना चाहिये। अखबार समाज में सूचना और जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। कोरोना महामारी के बीच अखबारों के डिजिटल स्पेस में वैसे भी कमी आई है। गूगल विज्ञापन से मिलने वाले राजस्व का बड़ा हिस्सा अपने पास रख लेता है।
दुनिया के इन देशों में भी उठा रेवेन्यू का मुद्दा
इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी ने अपने पत्र में लिखा कि दुनिया भर में ये मुद्दा गर्माता जा रहा है। ध्यान देने योग्य बात ये है कि हाल ही में गूगल ने फ्रांस, यूरोपिय संघ और मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया में प्रकाशकों को बेहतर मुआवजा और भुगतान देने पर सहमति व्यक्त की है। आईएनएस ने ये भी कहा कि गूगल को समाचार पत्रों के कंटेंट को प्रमुखता से जगह देनी चाहिये ताकि क्योंकि इसकी विश्वसनीयता होती है।
जानिए! फेसबुक और गूगल ने मुद्दे पर क्या कहा
बता दें कि हाल ही में ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने सदन में नया कानून पारित किया। कानून के मुताबिक गूगल और फेसबुक को अब मीडिया संस्थानों का कंटेंट इस्तेमाल करने के बदले हासिल होने वाले राजस्व का अधिकांश हिस्सा मीडिया कंपनियों के साथ साझा करना होगा।
इस बीच फेसबुक ने एलान किया है कि अगले तीन सालों में मीडिया इंडस्ट्री का समर्थन करने के उद्देश्य से 1 बिलियन डॉलर का भुगतान किया जायेगा। वहीं गूगल ने घोषणा की है कि आने वाले तीन साल में प्रकाशकों को 1 बिलियन डॉलर का भुगतान किया जाएगा।
अब भारत में भी ऐसी मांग उठने लगी है। मीडिया इंडस्ट्री मांग कर रही है कि फेसबुक और गूगल जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म उनके कंटेंटे से कमाये गये रेवेन्यू का ज्यादा हिस्सा शेयर करे। कंटेंट से हासिल रेवेन्यू का सिस्टम क्या है ये बताये। रेवेन्य शेयरिंग में पर्याप्त पारदर्शिता बरते।