logo

BJP नेताओं के वर्चुअल धरना पर कांग्रेस का पलटवार, कहा- मक्खन रोटी खाकर ये कैसा उपवास

8611news.jpg
द फॉलोअप टीम, रांची: 
भारतीय जनता पार्टी की झारखंड इकाई ने मंगलवार को किसानों को धान क्रय के भुगतान को लेकर वर्चुअल धरना दिया। झारखंड कांग्रेस ने इस पर पलटवार किया है। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी ने बीजेपी नेताओं को वर्चुअल धरना कार्यक्रम को नौटंकी, ढकोसला और घड़ियाली आंसू करार दिया। पार्टी ने कहा कि यदि बीजेपी को वाकई किसानों की इतनी चिंता है तो महीनों से आंदोलन कर रहे किसानों के हित में अपनी आवाज बुलंद करें। कृषि कानून को वापस लेने की बात करे। 

मक्खन रोटी खाकर उपवास करते हैं बीजेपी नेता
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि पिछले वर्ष लॉकडाउन में भाजपा नेता चिट्ठी-चिट्ठी का खेल खेल रहे थे। मक्खन-रोटी खाकर अपने घरों में उपवास रखने का कार्यक्रम समय-समय पर चलाते थे। इस वर्ष भाजपा नेताओं ने मीडिया में बने रहने के लिए अपने घरों में कुछ मिनटों तक धरना पर बैठ रहे है और फोटो खिंचाने के साथ ही उनका धरना समाप्त हो जाता है। इस बार भी पूरे संक्रमण काल में अधिकांश भाजपा नेता अपने घरों में ही दुबके नजर आ रहे हैं। प्रदेश भाजपा कार्यालय में साढ़े छह किलो का ताला लटका नजर आ रहा है। 

किसानों को भुगतान की जरूरी प्रक्रिया पूरी हुई
प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि एक ओर जहां कोरोनाकाल में केंद्र सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के बावजूद राज्य अपने संसाधनों के बदौलत हर मरीज और जरुरतमंद परिवार तक सहायता पहुंचाने में जुटी हैं वहीं किसानों की चिंता करते हुए 20 वर्षां में पहली बार कृषि मंत्री बादल के निर्देशन में विभाग की ओर से कृषि कैलेंडर जारी किया गया है। पिछले वर्ष धान खरीद के एवज में अधिकांश किसानों को भुगतान किया जा चुका है। कुछ जिलों में देर से खरीदारी हुई थी, उन जिलों में भी किसानों को भुगतान की आवश्यक प्रक्रिया पूरी की जा रही है। 

किसानों को खाद भी उपलब्ध करवाया जायेगा
प्रदेश प्रवक्ता डॉ0 राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि राज्य सरकार ने ना सिर्फ अनुदानित दर पर धान बीज समय पर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है, फसल के लिए आवश्यक खाद का भी उचित कीमत पर मिले और इसकी कालाबाजारी ना हो सके, इस दिशा में भी कारगार कदम उठाते हुए विभागीय अधिकारियों को टास्क फोर्स गठन का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कृषि मंत्री के प्रयास से कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष भी पिछले साल की कीमत पर ही किसानों को खाद उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।