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रांची: बेरोजगारी की कगार पर खड़े 4 हजार कम्प्यूटर शिक्षक, शिक्षा मंत्री से मिलकर सुनाया दुखड़ा

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

झारखंड के मिडिल और प्लस टू हाईस्कूलों में तैनात कम्प्यूटर शिक्षक बेरोजगारी के कगार पर खड़े हैं। आगामी तीन महीने में राज्य के स्कूलों में बतौर कम्प्यूटर शिक्षक कार्यरत 4 हजार युवा बेरोजगार हो जायेंगे। ये लोग आउटसोर्सिंग पर साल 2017 में भर्ती किये गये थे। इनकी भर्ती 5 साल के लिए की गई थी जिसकी अवधि मार्च 2022 में पूरी हो रही है। ऐसे में कम्प्यूटर शिक्षकों ने रविवार को प्रदेश के शिक्षा मंत्री जगरन्नाथ महतो से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपा। 

कम्प्यूटर शिक्षकों की मांग क्या है
शिक्षा मंत्री से मिलने पहुंचे राज्य भर के वोकेशनल कम्प्यूटर शिक्षकों की मांग है कि उनको आउटसोर्सिंग की बजाय नियमित किया जाये। शिक्षकों की ये भी मांग थी कि उनको वेतन का भुगतान सही समय पर किया जाये। गौरतलब है कि इन शिक्षकों की भर्ती अलग-अलग 4 कंपनियों ने की है। राज्य सरकार द्वारा कंपनियों को प्रति शिक्षक 20 हजार रुपये का भुगतान किया जाता है लेकिन शिक्षकों के महज 8 से 9 हजार रुपये ही मिलते हैं। इसमें भी कई शिक्षक वैसे हैं जिनको बीते 9 माह से वेतन का भुगतान नहीं किया जाता। शिक्षकों ने बताया कि कंपनी बकाया वेतन की मांग करने पर कहती है कि सरकार से फंड नहीं मिला है। 

महज 8 से 9 हजार रुपये मिलता है वेतन
कई शिक्षकों ने द फॉलोअप से बातचीत में बताया कि उनको महज 8 से 9 हजार रुपये प्रतिमाह भुगतान किया जाता है। उनसे यहां ना केवल शैक्षणिक बल्कि गैर-शैक्षणिक काम भी लिया जाता है। चूंकि इस समय अधिकांश आधिकारिक काम ऑनलाइन माध्यम से होता है इसलिए उन पर अतिरिक्त कार्यभार होता है। शिक्षक कई किमी दूर जाकर स्कूलों में पढ़ाते हैं। वाहन का किराया या और बाइक में काफी खर्चा आता है। बावजूद शिक्षक जिम्मेदारी का निष्ठापूर्वक निर्वहन करते हैं लेकिन इसका हक नहीं मिलता। 

शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों को दिया ठोस आश्वासन
शिक्षा मंत्री जगरन्नाथ महतो ने अपने आवास में इन शिक्षकों से बातचीत की। उनकी समस्याओं को सुना। शिक्षा मंत्री ने अगले 3 महीने में अनुबंध खत्म होने को संज्ञान में लेते हुए शिक्षकों को ठोस आश्वासन दिया कि उनका अनुबंध खत्म नहीं किया जायेगा। वे कंपनियों से व्यक्तिगत तौर पर इसके लिए वार्ता करेंगे। नियमित करने तथा वेतन संबंधी मांगों पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि वो पहले फाइल देखना चाहेंगे। समझेंगे कि उनकी नियुक्ति किन प्रावधानों के तहत की गई है। वे मुख्यमंत्री हेमंत सोरन से भी इस बारे में वार्ता करेंगे और कैबिनेट में इस मसले को रखेंगे। तब तक इंतजार करना होगा कि क्या होता है।