द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड के कोर्ट वर्चुअल मोड पर ही चल रहे हैं। इससे अदालत से जुड़े वकील और दूसरे कर्मचारियों को रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। अदालत में सुचारू ढंग से पहले की तरह काम-काज शुरू करने की मांग को लेकर 6 जनवरी को वकीलों ने प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि देश भर में हर विभाग में छूट दी जा रही है जबकि अधिवक्ताओं को नज़र अंदाज़ किया जा रहा है। अब अधिवक्ताओं के सब्र का बांध टूट रहा है। अगर जल्द फिजिकल कोर्ट शुरू नही किया गया तो अधिवक्ता अपना रोष दूसरे तरह से जाहिर करने को मजबूर हो जाएंगे।
नौ माह से सुचारू रूप से नहीं चल रही अदालत
वकीलों ने रांची सिविल कोर्ट के गेट समक्ष खड़े होकर प्रदर्शन किया। कहा कि 9 महीने से अधिक समय हो गया, लेकिन अभी भी फिजिकल कोर्ट नहीं खुले हैं। सुचारू रूप से अदालत नहीं चल रही है। जिला बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव संजय विद्रोही ने कहा कि वर्चुअल कोर्ट की वजह से झारखंड के सभी व्यवहार न्यायालय के 90 फीसदी अधिवक्ता बेकार हो गए हैं।
बार एसोसिएशन ने खुद को किया अलग
रांची जिला बार एसोसिएशन ने प्रदर्शन से खुद को अलग रखा। एसोसिएशन के अध्यक्ष शंभू अग्रवाल ने बताया है कि न्यायालय को भौतिक रूप से चलाने के लिए अभी झारखंड राज्य विधिक परिषद और झारखंड उच्च न्यायालय के बीच बातचीत चल रही है। 8 जनवरी को भी वार्ता होनी है। उसके बाद ही कोर्ट को भौतिक रूप से चलाने के मामले में कोई निर्णय लिया जा सकेगा।